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क्लास 12 के बाद ग्रेजुएशन में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट 2024 मई में होने वाला है। एनटीए 15 मई से 31 मई तक सीयूईटी यूजी एग्जाम 2024 का आयोजन करेगा। इसमें वैसे छात्र भी बैठ सकते हैं, जो इस साल 12वीं बोर्ड परीक्षा दे रहे हैं। ध्यान रहे कि आपके एग्जाम के बीच ही एनटीए सीयूईटी यूजी रजिस्ट्रेशन 2024 की शुरुआत कर देगा। इसके लिए cuet.nta.nic.in की जगह नई वेबसाइट लॉन्च की जा सकती है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी सीयूईटी 2024 यूजी में कुछ बड़े बदलाव करने वाली है। एजेंसी ने कहा है कि इस साल सीयूईटी परीक्षा (यूजी) हाइब्रिड मोड यानी ऑनलाइन (सी

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी ट्राई की ओर से एक प्रस्ताव पास किया गया है, जिसमें सभी मोबाइल ऑपरेटर जैसे जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और बीएसएनएल को निर्देश दिया है कि वो कॉलर आईडी सिस्टम को लागू करें। सवाल उठता है कि कॉलर आईडी सर्विस क्या हैं? तो बता दें कि फोन में हर दिन अनजान और प्रमोशनल कॉल आती है, जो मोबाइल यूजर्स के लिए बड़ी समस्या बनी हुई थी, जिसे दूर करने के लि

भंग हो चुके हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के समय से लंबित पड़ी भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया को शुरू करने का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों के लिए राहत की खबर है। हालांकि राज्य चयन आयोग 30 मार्च ...

धर्मशाला हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने बर्फबारी या अन्य कारणों से अपने गृह जिला नहीं लौट पाए परीक्षार्थियों को बड़ी राहत दी है। बहुत...

शबबरात इस्लामिक कैलेंडर में मुस्लिमों के आठवें माह शाबान की चौदहवीं या पंद्रहवीं रात को कहा जाता है। यानी वह रात, जब अपने उन नाते-रिश्तेदारों की रूह के सुकून के लिए दुआ मांगी जाती है, जो इस दुनिया में नहीं हैं।

भगवान श्रीकृष्ण की माता मैया यशोदा वात्सल्य की देवी हैं। उनकी गोद में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण खेले, ऐसा यश और किसी को प्राप्त नहीं हुआ। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष के छठे दिन यानी षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है।

ललिता राधाजी की अष्टसखियों में से एक थीं। इन्हें सभी सखियों में प्रधान स्थान प्राप्त था। ये राधा-कृष्ण की निकुंज लीलाओं की भी साक्षी थीं। ललिता राधा को सुख प्रदान कराने वाली प्रमुख सखी और उनकी विविध लीलाओं में सहगामी थीं।

रैदास अथवा संत रविदास कबीर के समसामयिक कहे जाते हैं। मध्ययुगीन संतों में रैदास का महत्त्वपूर्ण स्थान है। अत: इनका समय सन् 1398 से 1518 ईस्वी के आसपास का रहा होगा। संत रैदास काशी के रहने वाले थे।

हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां देवी-देवताओं में श्रद्धालुओं की गहरी आस्था और श्रद्धा है। ऐसा ही मां काली का सिद्धपीठ है कालीस्थान मंदिर, जो नाहन में स्थित है। मां काली यहां पिंडी रूप में विराजमान है। रियासत कालीन शहर नाहन में ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर का निर्माण रियासत के राजा विजय प्रकाश ने अपनी रानी के आग्रह पर सन् 1730 ई. में करवाया था। यह रानी कुमाऊं के राजा कल्याण चंद की सुपुत्री थी, जोकि देवी की परम भक्त व उपासक थी।