कम्पीटीशन रिव्यू

एक छोटा सा यंत्र है नाम है जिसका मोबाइल फोन कहने को यह छोटा है पर घुमा देता सबको  गोल-गोल। आलसी यह सबको बना रहा है। मनुष्य खुद काम से बच रहा है। सारा काम इससे करवा रहा है। अपना काम स्वयं करना सीख ले इनसान। कब तक खाएगा इसकी जान। मां-बाप से प्यारा है

एक पेड़ में एक ही पत्ती, तो भी रंग बिरंगी। करते सभी नमन हैं उसको मन में भरे उमंग।। *** तीन आंख है उसके फिर भी, रहता तीनों बंद। अंदर सरोवर भरा कहां से, मेढ़ है सादा रंग। *** एक महल के दो दरवाजा खुलता एक ही संग। कमरा नहीं और माल रखा है, फिर

प्राचीनकाल से ही इनसान की इच्छा रही है कि वह मुक्त आकाश में उड़े। इसी इच्छा ने पतंग की उत्पत्ति के लिए प्रेरणा का काम किया। कभी मनोरंजन के तौर पर उड़ाई जाने वाली पतंग आज पतंगबाजी के रूप में एक रिवाज, परंपरा और त्योहार का पर्याय बन गई है। * भारत में भी पतंग

प्रीटि जिंटा जन्मदिन :  31 जनवरी, 1975 प्रीटि का जन्म शिमला, हिमाचल प्रदेश में  31 जनवरी, 1975 को रोहड़ू में हुआ था। उनके पिता दुर्गानंद जिंटा भारतीय थलसेना में अफसर थे। जब वह 13 वर्ष की थी तब उनके पिता एक कार दुर्घटना में चल बसे और उनकी मां निलप्रभा, को गंभीर चोंटें आईं जिसके

कहते हैं ऊपर वाले ने हर किसी के लिए किसी न किसी को बनाया है। कहीं मेरे वाले ने आत्महत्या तो नहीं कर ली, पगला मिल ही नहीं रहा सुनाता हूं अपने स्कूल की प्रेम कहानी, एक थी टॉपर जो100 प्रतिशत  की थी रानी, फिर क्या … हमने पटा ली और फेल हो गई महारानी।

श्याम गरीब माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसकी मां बीमार थी। श्याम पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन घर की आर्थिक हालत के आगे उसे पढ़ने में समय कम मिलता। अपने पिता के संग-संग उसे भी अतिरिक्त समय में काम करना पड़ता तब उनके दो जुग मिलते। उसके दोस्त मस्ती करते, पर वह नहीं करता

जब  भी आप अपने बच्चों को लेकर भोलेनाथ के मंदिर जाते हैं  और वहां नंदी के कान में कुछ बोलते हो, तो बच्चों के मन में सवाल उठते हैं कि नदी के कान में भक्त क्या कुछ बोलते हैं। आज हम बच्चों को बताएंगे। भगवान शिव से कुछ भी मांगों तो वह मन्नत जल्द पूरी

हिमाचल का इतिहास -भाग-6 हिमाचल प्रदेश के इतिहास का एक और महत्त्वपूर्ण स्रोत है- यहां के प्राचीन राजाओं , राणाओं तथा ठाकुरों की वंशावलियां। प्राचीन काल से ही राजपरिवारों तथा सामंत परिवारों में एक ही प्रथा चली आ रही थी कि वे अपने परिवार में हुए व्यक्तियों का बड़े संयत तरीके से रिकार्ड रखते थे।

महात्मा गांधी की स्मृति में शहीद दिवस हर वर्ष 30 जनवरी, को मनाया जाता है। 30 जनवरी, 1948 का ही वह दिन था, जब शाम की प्रार्थना के दौरान सूर्यास्त के पहले महात्मा गांधी पर हमला किया गया था। वे भारत के महान् स्वतंत्रता सेनानी थे और लाखों शहीदों के बीच में महान् देशभक्त के