संपादकीय

हिमाचल में हम जिसे साधारण या रूटीन समझकर नजरअंदाज कर रहे हैं, वह अंततः हमारे मिजाज का दब्बूपन ही साबित करेगा। बेशक बड़ी राय रखने वाला एक बहुत बड़ा प्रबुद्ध वर्ग प्रदेश में है, लेकिन अपने-अपने दायरे के सुख-दुख में बंध हमारे हाथ अब इस काबिल नहीं कि राज्य की राय बना सकें। विधानसभा की

पाकिस्तान ने कराची के पास जिस ‘गजनवी’ मिसाइल का परीक्षण किया है, वह करीब 17 साल पुरानी मिसाइल है। इसका पहला परीक्षण 2002 में किया गया था। उसके बाद एक तय अंतराल पर परीक्षण किए जाते रहे और फौज को भी सौंप दिया गया था। 2012 के बाद अब परीक्षण किया गया है, तो मकसद

शिमला का बुक कैफे अपनी संवेदना के अक्स में भविष्य को तलाश रहा है, तो लाजिमी तौर पर इसके अस्तित्व के पक्ष और विरोध को समझना होगा। करीब दो साल के बुक कैफे की प्रासंगिकता में शिमला का साहित्यिक मंचन इस काबिल तो है कि इसके वजूद की पहरेदारी कर सके। दूसरी ओर जेल विभाग

सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की वैधता की व्याख्या संविधान पीठ को सौंप दी है। पांच न्यायाधीशों की पीठ अक्तूबर के पहले सप्ताह में सुनवाई शुरू करेगी। कुल 14 याचिकाओं में से 9 ऐसी हैं, जिनमें 370 को समाप्त करने के संसदीय और राष्ट्रपति के फैसलों को चुनौती दी गई

यह मात्र एक एमओयू का निरस्त होना नहीं, बल्कि हिमाचल में निवेश की अवधारणा पर सवाल भी है। ऐसी परियोजनाओं के प्रति दिलचस्पी, जरूरत और समय की तय सीमा के भीतर पूरा करने की इच्छा शक्ति शायद हिमाचल की सियासत व सरकारों में नहीं रही है। मंत्री महोदया की एक टिप्पणी से न आसमान टूटेगा

यदि भारतीय रिजर्व बैंक केंद्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए की मदद को तैयार है, तो कोई आसमान नहीं फटेगा। रिजर्व बैंक भारत सरकार के अधीन है, हालांकि उसकी अपनी स्वायत्तता भी है। उसकी भूमिका एक बैंकर, एजेंट और सलाहकार की है। उसके अधिकारी केंद्र सरकार ही नियुक्त करती है। रिजर्व बैंक अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष

आज तमाम मसले और मुद्दे एक तरफ  सरका कर, देश की बेटी पीवी सिंधु की, ऐतिहासिक जीत पर उत्सव मनाने का दिन है। सिंधु के जुनून और करिश्माई खेल पर तालियां बजाने के उल्लास का दिन है। जीत  के लम्हों की उत्तेजना इतनी थी कि सिंधु एकदम चिल्ला उठीं- ‘मैं नेशनल चैंपियन बन गई।’ लेकिन

हिमाचल की चिकित्सा सेवाओं के सूरत ए हाल पर टिप्पणी करती विधानसभा की सूचना इसलिए अहम हो जाती है, क्योंकि डाक्टरों का पलायन सुखद नहीं है। सरकार के पास डाक्टरों के पलायन के कारण व समाधान होंगे, लेकिन हकीकत यह है कि मेडिकल कालेजों की दौड़ में विभाग का कार्य ढांचा बुरी तरह ध्वस्त हुआ

निवेश के बाजू में खड़े विनिवेश को देखें तो सार्वजनिक क्षेत्र के आईने के सुराख बिक सकते हैं। जो हिमाचल के सार्वजनिक क्षेत्र की मिलकीयत में हार रहा है, उसे नई बागड़ोर क्यों न दी जाए, इस लिहाज से पर्यटन विकास निगम के कई यूनिट इन्वेस्टर मीट के नजदीक खड़े हो जाते हैं। बेशक इनमें