संपादकीय

देश के संविधान पर भरोसा नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला नहीं मानेंगे। सेंसर बोर्ड की औकात नहीं है। भाजपा सरकारें राजपूत वोटों के कारण खामोश हैं, लेकिन फिल्म ‘पद्मावत’ पर पाबंदी थोप दी थी, जो असंवैधानिक कर्म था। करणी सेना के कुछ चेहरे सार्वजनिक तौर पर चीख और धमका रहे हैं। क्या अब देश

सत्ता परिवर्तन का राजनीतिक-प्रशासनिक अंतर बेशक एक पद्धति सरीखा हो चुका है, लेकिन हिमाचल की इस रिवायत का हमेशा सुखद अनुभव ही होगा, कहा नहीं जा सकता। अपने सौ दिन के एजेंडा पर काम कर रही जयराम सरकार का सबसे आसान लक्ष्य लगातार हो रहे स्थानांतरणों की कवायद बनकर हाजिर है, तो कर्मचारियों-अधिकारियों को मानना

महाभारत हजारों साल पहले समाप्त हो चुकी है। आज न तो पांडव और न ही कौरव बचे हैं, फिर भी जनता को ‘पांचाली’ (द्रोपदी) बनाने की कोशिश जारी है। ऐसा वक्तव्य प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में दिया था और हमारा विश्लेषण भी यही है। कौरव-पांडव की नई महाभारत की रचना कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया

अभिव्यक्ति न तो आरोहण की लत में जिंदा है और न ही लाड़लेपन की फितरत में मजबूत है, फिर भी हिमाचल में राजसत्ता में अभिव्यक्ति किसी रासलीला की तरह अपने वजूद का हिसाब बनकर दिखाई देने लगी है। अभिव्यक्ति के दम पर समाज और देश की भाषा, सभ्यता व सरोकार मुखर होते हैं और इसीलिए

प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद हज सबसिडी खत्म करने का जो सिलसिला शुरू किया था, अब उस पर पूरी तरह ढक्कन लगा दिया गया है। मोदी सरकार ने हज के लिए प्रस्तावित सबसिडी बिलकुल ही खत्म करने का फैसला लिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का स्पष्टीकरण है कि

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी को ‘क्रांतिकारी’ माना है। उनके नेतृत्व में भारत चौतरफा क्रांति का संवाहक देश है। प्रधानमंत्री मोदी भारत को भविष्य का देश बनाते हुए क्रांतिकारी काम कर रहे हैं। उन्होंने भारत और इजरायल के आपसी संबंधों को ‘क्रांतिमय’ किया है। भारत-इजरायल का हजारों वर्षों का इतिहास

पहाड़ फिर कराहने लगा और कहीं दरार अस्तित्व के प्रश्नों को लेकर गहरी हो गई। हिमाचल पुनः मौसम की अदालत में कसूरवार और कहीं किसान-बागबान की जड़ें भीतर तक हिलने लगीं। लगातार सूखा भी ऐसा कि लोहड़ी-मकर संक्रांति में भी त्योहार का सारा गुड़ गोबर हो गया। खिचड़ी के माध्यम से अर्जित परंपराओं की ऊर्जा

हिमाचली भूमिका के संदर्भों में अब तक की यात्रा पुनः मुख्यमंत्री के आंगन में पहुंचकर, नई मंजिलें चुन रही है। ऐसे में बतौर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का व्यक्तित्व एक आंचल की तरह जनसंवेदनाओं को समेटता है। उनके बयान, प्रतिक्रिया व कार्रवाई के बीच ही हिमाचल सरकार का मंतव्य, मतलब और मीमांसा का आधार विकसित हो

बेशक वे सर्वोच्च हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं, सुप्रीम न्यायवादी हैं, सद्विचारी, सर्वोच्च ज्ञानी, सदैव निष्ठावान हैं। वे देश के संविधान के प्रति समर्पित भी हैं। न जाने और कितने विशेषण उन न्यायाधीशों के साथ जोड़े जा सकते हैं। उन्होंने खुद को तटस्थ रखते हुए संविधान की व्याख्याएं की हैं और न्यायिक फैसले दिए हैं। जब एक