संपादकीय

जयराम सरकार हालांकि पूर्व सरकार के अंतिम पहर के फैसले की समीक्षा में निर्णायक भूमिका में है, फिर भी इसके व्यवहार की पड़ताल जनता हमेशा की तरह करेगी। मंत्री फील्ड में चिन्हित होती प्राथमिकताओं से आलिंगनबद्ध हैं, तो मुख्यमंत्री केंद्रीय सत्ता के आशीर्वाद से हिमाचली माथे की लकीरें चौड़ी कर रहे हैं। जाहिर है सत्ता

नववर्ष 2018 की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ कही। 2017 की आखिरी, लेकिन आने वाले साल की भूमिका! प्रधानमंत्री ने सकारात्मक और प्रगतिशील भारत का आह्वान किया है। बेशक भारत देश बुनियादी और सांस्कृतिक तौर पर सकारात्मक है। प्रगतिशीलता के मायने भी सिर्फ विकास और उन्नति से नहीं हैं। प्रगतिशीलता का

सद्भावना से सियासी संगीत तक और सत्ता से विपक्ष के संतुलन तक का नाम ही सरकार चलाना है। ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पूर्व की अनेक छवियों से बाहर निकलकर अपना अलग रास्ता बना रहे हैं। वह एक ही दिन में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों से मिलकर अपने राजनीतिक चरित्र से सत्ता के खाके और खाते

2017 का आखिरी दिन और आखिरी रविवार भी…मैं धूप में बैठा संपादकीय लिखने के मूड में हूं। विचारों का कोई सिलसिला नहीं होता। सोच ही उन्हें क्रम देती है। लिहाजा वह लिख रहा हूं, जो वाकई मेरे भीतर आकार ले रहा है। आप इसे नए साल के पहले ही दिन पढ़ेंगे। उपदेशक नहीं हूं और

अंततः मंत्रिमंडल की तिजोरी खुली, तो सामने आई विभागीय तस्वीर में हिमाचल का चेहरा नजर आया। जाहिर है विभागीय आबंटन में युवा शक्ति को तरजीह मिली है और अनुभव की बिसात पर कुछ पुराने चेहरे अपने हाशियों से रू-ब-रू हैं। यहां युवा उत्थान स्पष्ट है और गोविंद सिंह, विक्रम सिंह, विपिन सिंह और वीरेंद्र सिंह

एक मुस्लिम औरत प्रधानमंत्री मोदी की रैली में शामिल हुई, तो उसे तीन तलाक कहकर घर से बाहर निकाल दिया गया। एक मुस्लिम महिला देर से सो कर उठी…औरत ने रोटी जला दी…मर्द का फोन उठाने में देर कर दी…बेटी को जन्म दिया, तो भी 3 तलाक दिए गए। यही नहीं, अमरीका से व्हाट्सऐप करके

संसद भारत की है, सांसद भारतीय हैं, तमाम सुख-सुविधाएं भी भारत में ही मुहैया हैं, लेकिन हमदर्दी और जुबान पाकिस्तानी है। बार-बार पाकिस्तान का समर्थन किया जाता रहा है मानो भारतीयों का हाथ, पाकिस्तान के साथ हो! भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद नरेश अग्रवाल ने कुलभूषण जाधव को ‘आतंकी’

मंदिर आय से निकले सिक्के न फिसलें, इसलिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय के निर्देश सही परिप्रेक्ष्य में लिए जाएंगे। चढ़ावे की राशि में वित्तीय अनुशासन मुकर्रर करते हुए इसका 85 फीसदी भाग मंदिर कार्यों पर ही खर्च करने की शर्त लगाई है अन्यथा आयकर प्रावधानों के तहत उपलब्ध छूट नहीं मिलेगी। हिमाचल में मंदिर आमदनी का

जाहिर तौर पर मंत्रिमंडल में राजनीतिक संख्या का वर्चस्व तसदीक हो रहा है। मंडी व कांगड़ा संसदीय क्षेत्रों में जयराम सरकार का विस्तृत आधार देखा जाएगा, तो प्रेम कुमार धूमल के सियासी नुकसान के दंश हमीरपुर को सता रहे हैं। सरकार के रहस्य पटल पर सजे कई नए चेहरे मुख्यमंत्री को आश्वस्त कर रहे हैं