विचार

विदेशी निवेश का मैत्री पक्ष ढूंढते हिमाचल की मुलाकात ब्रिक्स की एजेंसी से होना एक बात है, लेकिन इन रास्तों पर चलने की कोशिश निश्चित रूप से सराहनीय मानी जाएगी। शिमला से ब्रिक्स के रास्ते पर कई मंजिलें आसान हो सकती हैं, अगर इसी मात्रा में हिमाचली मानचित्र पर प्राथमिकताएं इंगित हों। बहरहाल हिमाचल सरकार

रिलीज से पहले देश भर में बवाल की वजह बनी पद्मावत फिल्म से फैंस को कोई शिकवा नहीं है। फिल्म देखने वाले ज्यादातर लोगों का कहना है कि इसमें तो राजपूती शान दिखाई है, न कि उनका अपमान पूरे परिवार के साथ देख सकते है पंकज ठाकुर का कहना है कि फिल्म पूरी तरह से

किताब के संदर्भ में लेखक हिमाचल का लेखक जगत अपने साहित्यिक परिवेश में जो जोड़ चुका है, उससे आगे निकलती जुस्तजू को समझने की कोशिश। समाज को बुनती इच्छाएं और टूटती सीमाओं के बंधन से मुक्त होती अभिव्यक्ति को समझने की कोशिश। जब शब्द दरगाह के मानिंद नजर आते हैं, तो किताब के दर्पण में

पुस्तक समीक्षा * किताब का नाम : मध्यकालीन दश गुरु परंपरा-भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय * लेखक : प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री * प्रकाशक-हिमाचल रिसर्च इंस्टीच्यूट, चकमोह, हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश * मूल्य : पचास रुपए (पेपरबैक) भारत में मध्य कालीन दश गुरु परंपरा के अवदान और प्रभाव को एक क्षेत्र विशेष के सदंर्भ में समेट

पुस्तक समीक्षा * पत्रिका का नाम : दृष्टि * संपादक : अशोक जैन * कुल लघुकथाएं : 90 * मूल्य : 500 रुपए (छह अंकों के लिए) लघुकथा को पूर्णतया समर्पित अर्द्धवार्षिक पत्रिका ‘दृष्टि’ का अंक नंबर तीन (जुलाई-दिसंबर, 2017) साहित्यिक बाजार में आ गया है। यह पत्रिका दो वर्षों से छप रही है तथा

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं प्रदेश को विकास की अपनी प्राथमिकताएं जल्द तय करनी चाहिएं। चिन्हित लक्ष्यों पर एक समय सीमा के भीतर काम होना चाहिए। पहली प्राथमिकता पर्यटन है, लेकिन इसका विकास सड़कों, रेल व उड्डयन पर निर्भर करता है। दुखद यह है कि इन तीनों मामलों

जिला चंबा को पिछड़े जिला में 114वां स्थान मिलने से प्रदेश के राजनेताओं द्वारा अब तक किए प्रयासों को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। प्राचीनकाल में विकसित रहे इस जिला को आखिर इस पायदान तक पहुंचाने में क्या-क्या कारण रहे हैं आइए पढ़ें क्षेत्र के बुद्धिजीवियों के विचार ‘दिव्य हिमाचल’ जिला संवाददाता हामिद

रोमिल कौंडल, केंद्रीय विश्वविद्यालय,धर्मशाला एक वृक्ष की ही भांति मनुष्य के जीवन में भी कई चरण आते हैं। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक जीवन की हर अवस्था का एक खास महत्त्व रहा है। कहीं बचपन के नटखट भाव, तो कहीं जवानी में देश, समाज, परिवार व व्यक्तिगत विकास के लिए फूटते ऊर्जा के स्रोत। बुढ़ापे

राष्ट्रीय पर्व की लोकतांत्रिक मशाल को प्रकाशमय रखने का गौरव धारण करके, हिमाचल एक ऐसी पृष्ठभूमि है जो स्वाधीनता के तिलक को अपने रक्त से सिंचित करती है। आजादी से लोकतंत्र के हर अक्षुण्ण पल की पहरेदारी में हिमाचली नायक का हर घर से ताल्लुक है, फिर भी फरियाद बन कर हम सम्मान की पलकों