विचार

चर्चित टीसीपी विधेयक की परिपाटी घूमते-घूमते फिर भवन निर्माण की वैधता का नया शृंगार करके हाजिर है। अंततः मान गए महामहिम राज्यपाल और कानून का शीर्षासन पूरा हुआ। हुलिया बताता है कि सर्वप्रथम विधेयक की नई नस्ल से अनधिकृत इमारतों को बख्श दिया जाएगा और राहत का पैगाम शहरी आवरण में छिपे इस तबके को

( आशीष बहल  लेखक, चुवाड़ी, चंबा से हैं ) 2013 में अंतिम बार हिमाचल की तरफ से किन्नौर की शादी की परंपरा को दिखाती झांकी को राजपथ पर दर्शाया गया था। इस बार हिमाचल की तरफ से अपनी ऐतिहासिक विरासत और अद्भुत कला की मिसाल पेश करते हुए चंबा रूमाल के इतिहास को जीवंत कर

( डा. शिल्पा जैन सुराना, वंरगल (ई-पेपर के मार्फत) ) घूंघट प्रथा एक ऐसा सवाल है, जिस पर समाज आज भी मौन है। हमारे देश में आज जहां महिलाएं पायलट हैं, आईएएस अधिकारी हैं, अन्य विभागों में उच्च पदों पर पदासीन हैं, वहीं समाज का एक बड़ा वर्ग यह कहकर इस बात से पल्ला झाड़

गांधी वंश की नई पीढ़ी अब कांग्रेस का राजनीतिक आधार तय करेगी। रणनीति भी बनाएगी। खंडहरों में खूबसूरत भवन बनाने का सपना भी है। दिलचस्प यह है कि इस नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व भाई-बहन की जोड़ी कर रही है। बेशक राहुल गांधी पहले से ही कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और बतौर अध्यक्ष उनकी ताजपोशी

( रमेश सर्राफ  (ई-मेल के मार्फत) ) शनिवार की देर रात आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिला में हिराखंड एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। रेलवे प्रवक्ता ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि पटरियों में फ्रैक्चर से ट्रेन बेपटरी हुई है। यह पता लगाना होगा कि पटरी तोड़-फोड़ के चलते टूटी या लापरवाही के

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) हिम का आंचल, कितना उज्ज्वल, कितना सुंदर, कितना शीतल। धरती का है स्वर्ग निराला, हिमाच्छादित पर्वतमाला। सरिता करती कलकल, कलकल, मधु से भी मीठा इनका जल। पुष्प सुगंधित महक रहे हैं, विहग डाल पर चहक रहे हैं। वृक्ष लताएं झूम रही हैं, मस्ती लिपटी, चूम रही है। नदियां

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं वर्ष 1963 में न्यायमूर्ति सरकारिया, जिन्हें केंद्र-राज्य संबंधों के अध्ययन को नियुक्त किया गया था ने रिपोर्ट दी कि ‘‘केंद्र शक्ति के नशे में चूर’’ था। यही समय था कि भारत ‘मजबूत’ केंद्रीकृत सरकार के विचार को निकाल

( अजय पराशर लेखक, साहित्यकार एवं  चिंतक हैं ) धर्मशाला को राज्य की दूसरी राजधानी का दर्जा देने की घोषणा का जहां उनके समर्थकों ने स्वागत किया, वहीं विपक्ष को उन पर निशाना साधने का मौका मिल गया। लेकिन कांगड़ा जिला और निचले क्षेत्रों के आम लोगों ने इस घोषणा को हाथोंहाथ लिया है। लोगों

हिमाचली स्वाभिमान के लिए आज का दिन एक साथ कई मील पत्थर रखता है, फिर भी क्या पूर्ण राज्यत्व दिवस से पूर्ण नायकत्व को हम अंगीकार कर पाए। अपने युग की शुरुआत में हिमाचल ने प्रगति के आईने और पहाड़ की छवि को पूरी तरह बदलने में सफलता प्राप्त की, लेकिन इस नायक की पूरी