अधर में लटकी इतिहास को सहेजने की योजना

By: Jan 20th, 2017 12:05 am

नालागढ़ —  हंडूर रियासत के नालागढ़ शहर की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण करने की अटकी योजना को सिरे चढ़ाने के लिए नगर परिषद ने कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए पर्यटन विभाग को दोबारा से फाइल भेजी जाएगी। गौर हो कि नगर परिषद नालागढ़ ने ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण को लेकर एक योजना तैयार कर इसकी डीपीआर बना एचपीटीडीसी को स्वीकृति के लिए भेजी थी, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिल सकी है। परिषद की यह योजना काफी पुरानी है और पिछली परिषद ने इस योजना का खाका तैयार करके पर्यटन विभाग को भेजा था। अब नई परिषद ने इस योजना को दोबारा से प्रोसेस में लाने के लिए करसत करनी शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहरों को सहेज कर रखने की परिषद की योजना परवान चढ़ाने के लिए परिषद ने कमर कस ली है। ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की इस योजना से युवा पीढ़ी को भी इन ऐतिहासिक धरोहरों का ज्ञान मिल सकेगा। बता दें कि पूर्व परिषद ने बाकायदा आठ करोड़ रुपए की ऐतिहासिक धरोहरों को सूचीबद्ध करके प्रोपोजल तैयार करके भेजी थी, ताकि इन ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण हो सके, लेकिन यह योजना हिचकोले ही खा रही है और अब नगर परिषद ने इसे सिरे चढ़ाने की कवायद तेज कर दी है। बता दें कि नगर परिषद क्षेत्र में कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जिनमें नालागढ़ शहर का मुख्य प्रवेश द्वार, प्राचीन तालाब, वार्ड-नौ स्थित ऐतिहासिक फोर्ट रिजोर्ट को जाने वाले मार्ग पर बने प्राचीन प्रवेश द्वार, इसी वार्ड में स्थित ऐतिहासिक बावड़ी व ठाकुरद्वारा प्राचीन मंदिर व बावड़ी, महंता दी रख स्थित नरसिंह मंदिर आदि अनेकों ऐसी कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जिनका यदि संरक्षण किया जाए तो शहर की जहां सुंदरता बढ़ेगी, वहीं ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण भी मिलेगा।

1421 में हुई थी नालागढ़ की स्थापना

नालागढ़ नगरी बहुत प्राचीन है और इसे हंडूर रियासत के नाम से जाना जाता था। बताया जाता है कि नालागढ़ शहर की स्थापना वर्ष 1421 में हुई है और यहां पर कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं। इसमें राजाओं के समय का बना हुआ प्राचीन किला जो आज ऐतिहासिक फोर्ट रिजोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, यहां स्थापित है। क्षेत्र के पुरातत्व धरोहरों की जानकारी रखने वाले एवं समाजसेवी सुरजीत डंडोरा ने कहा कि हंडूर रियासत के नाम से जाने जाने वाले नालागढ़ शहर की स्थापना राजा उद्यम चंद ने वर्ष 1421 में की थी और यहां पर कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जिन्हें यदि सहेज कर रखा जाए तो आने वाली पीढ़ी को भी इसका ज्ञान मिल  सकेगा। प्रोसेस फिर शुरू की नगर परिषद नालागढ़ अध्यक्ष महेश गौतम ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों की संरक्षण की योजना को पुनः प्रोसेस में लाया जा रहा है, ताकि इसे स्वीकृति मिल सके, जिससे ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण हो सके।


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