कौन रखे नौणी की सेहत का ख्याल

By: Jan 21st, 2017 12:05 am

क्षेत्र में एक भी स्वास्थ्य केंद्र न होने से लोगों को झेलनी पड़ रही दिक्कतें

नौणी —  शहर से करीब बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित नौणी पंचायत आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम है। लोग अपनी छोटी सी बीमारी का उपचार करवाने के लिए भी सोलन आ रहे हैं। यहां रहने वाले हजारों लोगों को दर्द सरकार तक नहीं पहुंच रहा है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं यहां के लोगों को मिलेंगी, इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी नहीं जानते हैं। कई ऐसी बातें हैं, जिसकी वजह से नौणी पंचायत काफी महत्त्चपूर्ण मानी है। विश्वविद्यालय में स्टाफ व कर्मचारियों से करीब 5000 लोग प्रतिदिन आते-जाते रहते हैं। इसके अलावा नौणी, शमरोड, मझगांव ओयली, धर्जा और ओच्छघाट पंचायत की आबादी भी करीब  5000 से अधिक है। ऐसे में हजारों लोगों का स्वास्थ्य रामभरोसे है। इसके अलावा निजी उद्योग व प्रशिक्षण संस्थान भी यहां पर स्थित हैं। हालांकि विश्वविद्यालय कैंपस में एक छोटी सी डिस्पेंसरी है, लेकिन यहां पर भी पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। यहां तक कि आवश्यक दवाइयां भी इस पंचायत में नहीं मिल पाती हैं। नौणी व आसपास की पंचायत बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं से दूर है। इन पंचायतों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए यहां से करीब 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। इमर्जेंसी के दौरान समय पर स्वास्थ्य सुविधा न मिलने की वजह से कई बार मरीजों की जान पर बन आती है। नौणी पंचायत प्रदेश की आधुनिक पंचायतों में शामिल है। नौणी पंचायत में सरकार करोड़ों रुपए खर्चती है, लेकिन हैरानी की बात है कि यहां पर आज तक एक स्वास्थ्य केंद्र नहीं बन पाया है। बीते कई वर्षों से ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र की  मांग कर रहे हैं। यदि नौणी में सीएचसी स्तर का स्वास्थ्य केंद्र बनता है तो इसका फायदा आसपास की आधा दर्जन पंचायतों को होगा। लोगों को एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड जैसे जरूरी टेस्ट करवाने के लिए सोलन नहीं जाना पड़ेगा। इसके अलावा यदि आपातकालीन सेवाएं भी यहां पर दी जाती हैं तो यह स्थानीय लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा। उधर, सीएमओ सोलन डा. आरके दरोच का कहना है कि नौणी में सीएचसी अस्पताल खोले जाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. धनीराम शांडिल के माध्यम से प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद ही आगामी कार्य शुरू किया जाएगा।

एक डाक्टर और मरीज सौ…तो इलाज कैसे हो

 सोलन —  जिला के सबसे बड़े अस्पताल में डाक्टरों की कमी होने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रीय अस्पताल में एक गायनीलॉजिस्ट व एक रेडियोलॉजिस्ट के तैनात होने से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि मरीजों की संख्या के अनुसार इस अस्पताल में एक-एक चिकित्सक की और आवश्यकता है। इन डाक्टरों के अवकाश या अन्य ड्यूटी पर होने से मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है। पिछले कई महीनों से अस्पताल में इन पदों पर एक-एक ही डाक्टर अपनी सेवाएं मरीजों को दे पा रहे हैं। इस कारण अस्पताल में आए दिन गायनी ओपीडी में मरीजों की कतारें लगी रहती हैं। एक ही गायनीलॉजिस्ट होने से मरीजों को कई घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। आलम यह है कि यदि रेडियोलॉजिस्ट अवकाश पर गए हों तो अस्पताल में मरीजों के अल्ट्रासांउड नहीं हो पाते हैं, जिसके चलते मरीजों को निजी अस्पतालों में जाकर अपना इलाज करवाना पड़ता है। उधर, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक महेश गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में गायनी व रेडियोलॉजिस्ट पद पर एक-एक डाक्टर ही तैनात है। इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है।

एक साल से एक ही रेडियोलॉजिस्ट

क्षेत्रीय अस्पताल में पिछले करीब एक साल से एक ही रेडियोलॉजिस्ट सेवाएं दे रहा है। इस डाक्टर के अवकाश पर या अन्य कार्यों में ड्यूटी होने पर अस्पताल में मरीजों का इलाज होना मुश्किल हो जाता है। वहीं क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में आए दिन सिरमौर, शिमला व सोलन के मरीजों को अपना इलाज करवाने के लिए अस्पताल में देखा जाता है, लेकिन अस्पताल में इस तरह की समस्या होने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।


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