परागपुर लोहड़ी के लिए सियासत हानिकारक

By: Jan 15th, 2017 12:05 am

परागपुर – त्योहार राज्य स्तरीय पर हालत जिला स्तर से भी पतली। जी हां ! सियासत की रस्साकशी ने धरोहर गांव परागपुर में मनाए जाने वाले राज्य स्तरीय ऐतिहासिक लोहड़ी पर्व का दम घोंट कर रख दिया है।  हालत यह है कि जिस स्टेट लेवल के पर्व पर पूर्व में गवर्नर, मुख्यमंत्री या फिर प्रदेश के बड़े-बड़े नेतागण पहुंच चुके हों, आज वहां कर्मचारी नेता को भेजकर उक्त पर्व से इतिश्री की जा रही है। देखा जाए तो परागपुर प्रदेश का सबसे बड़ा ब्लॉक होने के साथ इसे एक ऐतिहासिक गांव से भी नवाजा गया है। यही नहीं क्षेत्र के लोगों के लिए इससे भी गौरवान्वित बात तो यह है कि परागपुर को प्रदेश सरकार ने एक नहीं बल्कि दो त्योहारों को राज्य स्तरीय के रूप में मनाने का गौरव प्रदान किया है। चाहे वह कालेश्वर का बैशाखी मेला हो या फिर परागपुर की लोहड़ी, प्रदेश सरकार के मुखिया का इन पर्वों से किनारा कर लेना कहीं न कहीं इस क्षेत्र के साथ भेदभाव को दर्शा रहा है।  शुक्रवार को धरोहर गांव परागपुर में मनाया जाने वाला राज्य स्तरीय लोहड़ी मेला पहले की अपेक्षा इस बार बहुत सुंदर व सुसज्जित तरीके से मनाया गया हो, लेकिन मुख्यमंत्री का इस पर्व में शामिल न होने की कमी यहां के लोगों को जरूर खली है।

भेदभाव क्यों

लोगों का यह भी मानना है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि वर्ष 2009 में तत्कालीन भाजपा के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने लोहड़ी पर यहां पहुंच कर इसे राज्य स्तरीय रूप में मनाने का गौरव परागपुर को प्रदान किया था। उसके बाद इस पर्व के आयोजन हेतु कई महान हस्तियों से यह धरोहर गांव रू-ब-रू हुआ है। यही नहीं स्वयं मुख्यमंत्री एक दो बार इस पर्व पर शिरकत कर चुके हैं, लेकिन कुछ वर्षों से मुख्यमंत्री ने इस राज्य स्तरीय पर्व के आयोजन से कनी काटते हुए जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

लोगों का सुरेंद्र मनकोटिया से सवाल

राज्य स्तरीय लोहड़ी का दर्जा परागपुर को मिला है और सीएम लोहड़ी कहीं और जाकर मनाते हैं। इस बार भी मुख्यमंत्री ने फतेहपुर में जाकर लोहड़ी मनाते हुए प्रदेशवासियों को बधाई दी। वहीं, लोगों ने प्रदेश कर्मचारी एवं श्रम कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष सुरेंद्र मनकोटिया से भी सवाल किया है कि वह मुख्यमंत्री के इतने नजदीकी होने के उपरांत भी  उन्हें राज्य स्तरीय कार्यक्रम में सीएम को क्यों नहीं ला सके।

वीरभद्र पहले भी ज्वालामुखी ही आते थे

लोगों का मानना था कि मुख्यमंत्री शीतकालीन प्रवास के दौरान कांगड़ा जिला के दौरे पर हैं वह इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम में जरूर शिरकत करेंगे, लेकिन जिला में होने के बावजूद यहां न पहुंच कर प्रदेश के मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने लोगों में सरकार के प्रति निराशा की भावना पैदा कर दी है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी सीएम पास के ज्वालामुखी में लोहड़ी मनाने आते थे पर परागपुर नहीं।


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