पहली महिला असिस्टेंट कमांडेंट बनी ऊषा किरण
चंडीगढ़ – छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित बस्तर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की ओर से नियुक्त की गई पहली महिला असिस्टेंट कमांडेंट ऊषा किरण आदिवासी महिलाओं के लिए एक आशा की किरण बन कर आई हैं। मूल तौर पर गुड़गांव (हरियाणा) की रहने वाली ऊषा ने 30 दिसंबर को बटालियन 80 की असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर कार्यभार ग्रहण किया है। उनकी यहां पदस्थापना से न केवल सुरक्षा बलों का मनोबल एवं आत्म विश्वास बढ़ा है, बल्कि आदिवासी महिलाएं भी उनसे प्रेरणा पा रहीं हैं। ऊषा के दादा और पिता भी सीआरपीएफ में रहते हुए नक्सल विरोधी अभियान का हिस्सा रह चुके हैं। उनके भाई दर्शन सिंह भी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में सेवारत हैं। ऊषा ने बताया कि उनकी सेवाएं 332 महिला बटालियन में थी, जहां से उन्हें आगामी सेवा के लिए तीन विकल्प दिए गए, जिसमें से उन्होंने नक्सल प्रभावित बस्तर में आना स्वीकार किया। उन्होंने बस्तर के लोगों के विकास से कोसों दूर होने और आदिवासियों के काफी भोला-भाला होने के बारे में सुन रखा था, जिससे भी उन्हें यहां आने की प्रेरणा मिली। बस्तर में अपने पहले अभियान के अनुभव के बारे में उन्होंने बताया कि वे 20 किलोमीटर पैदल चलकर आंतरिक दूर अंचल में बसे ग्राम भड़रीमऊ गईं थीं। उनके वहां पहुंचने पर गांव की आदिवासी महिलाएं उन्हें देखकर अपने-अपने घरों से बाहर निकल आईं। उन्होंने दुभाषिए के माध्यम से उनसे बात की तब महिलाओं ने उन्हें बताया कि अब तक क्षेत्र में पुरुष-जवानों एवं अधिकारियों की आमद उनके लिए चिंता एवं भय का कारण बनी रहती थी पर अब एक महिला अधिकारी के नेतृत्व से वे आशांवित रहेंगी। उन्हें पुलिस यूनिफार्म में देखकर ग्रामीण महिलाएं अपने बच्चों को सुरक्षा बलों में भेजने के प्रति भी प्रोत्साहित दिखीं। इसी बटालियन के सहायक कमांडेंट नंदलाल ने महिला अधिकारी के प्रवेश पर कहा कि बलों पर ग्रामीणों, ग्रामीण महिलाओं द्वारा विभिन्न आरोप लगाए जाते रहे हैं परंतु अब एक महिला अधिकारी की मौजूदगी बल के कार्य को सुगम बनाएगी। वहीं एक ग्रामीण आदिवासी महिला ने भी कहा कि अब महिलाएं अपनी स्वयं एवं अपनी अस्मिता की सुरक्षा के प्रति निश्चिंत हैं।
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