प्रशिक्षण कार्यक्रम से मिलेंगे बेहतर परिणाम

By: Jan 13th, 2017 12:02 am

भूपिंदर सिंह

( लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं )

अब हिमाचल कोई छोटा सा प्रदेश नहीं है कि मेडल नहीं लिया कोई बात नहीं, कह कर तसल्ली कर लेंगे। अब तो यह बड़े राज्यों से मुकाबला करता है, तो क्यों न खिलाडि़यों को योग्य प्रशिक्षक, खुराक और दूसरी सुविधाएं भी उम्दा दर्जे की उपलब्ध करवाएं, ताकि देवभूमि खेल भूमि भी बन जाए…

पंजाब में चार दशक पूर्व खेलों को बढ़ावा देने के लिए वहां की सरकार ने विभिन्न जिलों में खेल सुविधा के अनुसार विभिन्न शिक्षा संस्थानों में खेल विंगों की स्थापना की थी। उसी के परिणामस्वरूप पिछले दशक तक पंजाब देश में खेलों में अग्रणी राज्य बना रहा। जब पिछले दशक की शुरुआत में पंजाब का नाम राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की पदक तालिका में नीचे जा रहा था, तो वहां पर पंजाब खेल संस्थान की स्थापना की गई। इस संस्थान के माध्यम से पंजाब के विभिन्न जिलों में अलग-अलग खेलों के लिए प्रतिभावान किशोर खिलाडि़यों को भर्ती किया गया और देश के अच्छे प्रशिक्षकों को सम्मानजनक अनुबंध पर अनुबंधित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम को धार दी। उसी का नतीजा है कि कनिष्ठ हाकी विश्व कप जीतने वाली टीम के अधिकांश खिलाड़ी पंजाब खेल संस्थान के प्रशिक्षण कार्यक्रम से ही निकले। हाल ही में खत्म स्कूली राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में इसी संस्थान के चार खिलाडि़यों ने मीट रिकार्ड बनाए हैं। हिमाचल को भी इस स्कूली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में एक पदक मिला और वह साई धर्मशाला खेल छात्रावास की धाविका सीमा कोे 5000 मीटर की दौड़ में रजत के रूप में मिला है। पंजाब में सैकड़ों खिलाडि़यों को पंजाब खेल संस्थान प्रतिभा खोज के माध्यम से चयनित कर अपने यहां प्रशिक्षण दे रहा है। वह खिलाड़ी के लिए विश्व स्तरीय प्रशिक्षक उपलब्ध करवा कर छह हजार रुपए महीना प्रति खिलाड़ी की दर से खुराक भत्ता भी दे रहा है।

हिमाचल प्रदेश के पास इस समय धर्मशाला के साई खेल छात्रावास में एथलेटिक्स तथा कबड्डी में काफी अच्छे परिणाम आ रहे हैं, इसके पीछे वहां नियुक्त प्रशिक्षकों का काफी हाथ है। कबड्डी प्रशिक्षक मेहर सिंह वर्मा के प्रशिक्षण में हिमाचल की लड़कियां काफी समय से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। बिलासपुर साई खेल छात्रावास से भी कबड्डी के लड़के ऊंचे मुकाम तक पहुंचे हैं। राज्य के खेल छात्रावास ऊना तथा बिलासपुर में चल रहे हैं। बिलासपुर में लड़कियों की कबड्डी पर एक समय तक तो अच्छा काम होता रहा, मगर अब वहां पर हर खेल का बुरा हाल है। इसी तरह ऊना  का राज्य खेल छात्रावास आज तक कोई सम्मानजनक खेल परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर नहीं दे पाया है। इन दोनों खेल छात्रावासों में स्तरीय खेल परिणाम न आने के कारण वहां का प्रशिक्षण कार्यक्रम है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह पंजाब की तरह देश के अच्छे प्रशिक्षकों को अनुबंधित करे, ताकि वहां पर भी अच्छे खेल परिणाम आ सकें। उसके साथ-साथ जहां पर हिमाचल अन्य खेलों में अच्छे परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर दे रहा है, वहां पर खिलाडि़यों को खुराक भत्ता व प्रशिक्षक उपलब्ध करवाए जाएं। सुंदरनगर में मुक्केबाजी प्रशिक्षक अच्छा काम कर रहा है, तो वहां पर खिलाडि़यों को खुराक भत्ता का प्रबंध किया जाए। इसी तरह हमीरपुर में सिंथेटिक ट्रैक है तथा ऊना में एस्ट्रो टर्फ। वहां पर हाकी के लिए प्रशिक्षक उपलब्ध करवाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल परिणाम लिए जा सकते हैं। हिमाचल राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।

इस सबके लिए अच्छे प्रशिक्षक तथा अच्छी खेल सुविधा व खुराक उपलब्ध करवाना खेल विभाग का कार्य है। विभाग तो प्रशिक्षक के नाम पर किसे भर्ती कर रहा है, वह सब के सामने आ चुका है। केवल खेलों के लिए बजट उपलब्ध करवा देने भर से कुछ नहीं होगा। खिलाडि़यों की खुराक से लेकर उनकी बाकी सुविधाएं पर भी सरकार और खेल विभाग को गौर करना होगा। हमारे कितने ही प्रतिभावान खिलाड़ी प्रदेश में सुविधाएं न मिलने के कारण पलायन कर चुके हैं। वे खेलों में दूसरे प्रदेशों का नाम रोशन कर रहे हैं। पिछले वाकयों से प्रदेश ने सीख नहीं ली, तो अभी सजग हो जाना चाहिए, ताकि प्रदेश की प्रतिभा प्रदेश में ही रहे। हमारे खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं, बस जरूरत है उन्हें प्रोत्साहन देने की। ऐसे कई उदाहरण हैं, जब खिलाड़ी सुविधाएं न मिलने के कारण अपना सौ फीसदी नहीं दे पाया। खेलों को बढ़ावा देना है, तो खिलाडि़यों को आगे बढ़ने के लिए उन्हें हर वह चीज मुहैया करवानी होगी, जिससे उसकी प्रतिभा में निखार आ सके। अभी भी समय है पड़ोसी राज्यों से सीख लेकर प्रदेश की खेलों को आगे बढ़ाने का काम सरकार को करना चाहिए। अब हिमाचल कोई छोटा सा प्रदेश नहीं है कि मेडल नहीं लिया कोई बात नहीं, कह कर तसल्ली कर लेंगे। अब तो यह बड़े राज्यों से मुकाबला करता है, तो क्यों न खिलाडि़यों को योग्य प्रशिक्षक, खुराक और दूसरी सुविधाएं भी उम्दा दर्जे की उपलब्ध करवाएं, ताकि देवभूमि खेल भूमि भी बन जाए।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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