समझना होगा पर्यटन व साहसिक खेलों का रिश्ता

By: Jan 6th, 2017 12:03 am

भूपिंदर सिंह

( लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं )

हिमाचल सरकार तथा खेल संघों को समझना चाहिए कि हिमाचल को कुदरत ने बनाया ही साहसिक खेलों के लिए है। इन खेलों के लिए प्रशिक्षण सुविधा तथा ट्रेनर उपलब्ध करवाकर अधिक से अधिक युवा खिलाडि़यों को आकर्षित करें। खेलों को बढ़ावा देने का एक मतलब है, हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देना…

हिमाचल प्रदेश का खुला नीला आकाश, बर्फ की खूबसूरत चोटियां-ढलानें तथा गोबिंद सागर व पौंग डैम जैसी बड़ी झीलें साहसिक खेलों की बहुत ही उम्दा प्ले फील्ड हैं। अगर हम इस स्थलों की महत्ता को समझकर इनके सदुपयोग की दिशा में कुछ कदम बढ़ाएं, तो हिमाचल को साहसिक खेलों का केंद्र बनाया जा सकता है। पैरा ग्लाइडिंग में कांगड़ा की बिलिंग, जहां विश्व के पैरा ग्लाइडरों का स्वर्ण बन चुकी है, वहीं बिलासपुर की बंदला हिल, मंडी, कुल्लू तथा चंबा सहित हिमाचल में कई स्थान ऐसे हैं, जहां पैरा ग्लाइडिंग के लिए नए रास्ते नजर आते हैं। पानी की खेलों में गोबिंद सागर तथा पौंग डैम में पड़ोसी राज्य आकर अपनी खेल प्रतियोगिताएं तो करवा जाते हैं, मगर हिमाचल प्रदेश अपने ही राज्य में इस इस दिशा में अब तक कोई खास प्रगति नहीं कर पाया है। झीलों के शहर भोपाल में वहां के खेल विभाग द्वारा चलाई गई मुहिम से आज वहां पर बहुत अच्छी प्रशिक्षण सुविधा है। हिमाचल प्रदेश ने भी कई ट्रेनर यहां रखे हैं, मगर आज तक ऐसा कोई भी पानी की खेलों का खिलाड़ी हिमाचल तैयार नहीं कर पाया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कहीं नजर आया हो। हां, यह अलग बात है कि जल सेना में जाकर हमीरपुर का नीरज शर्मा जरूर एशियाई स्तर पर नौका चालन में अपना जौहर दिखा चुका है।

पानी की खेलों के लिए प्रयुक्त होने वाले उपकरणों में नौकाएं बहुत महंगी हैं। नौकाओं के अलावा जीवन रक्षक किट आदि भी विदेशों से ही मंगवानी पड़ती हैं। इस सब के लिए अच्छे बजट की भी जरूरत होती है, जो सरकार हिमाचली खिलाडि़यों के लिए उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। साहसिक खेलों में रिवर राफ्टिंग के लिए ब्यास नदी पर तो गर्मियों में कुल्लू के आसपास चहल-पहल नजर आती है, मगर शेष स्थानों पर अभी तक यह रोमांच का खेल नहीं पहुंच पाया है। पर्यटन के लिए यह खेल खास आकर्षण का केंद्र होता है।  हर रोज हिमाचल आने वाले कई पर्यटक इसी तरह के रोमांच की तलाश में यहां आकर लौट जाते हैं, लेकिन हमने कभी उनकी अपेक्षाओं को नहीं समझा। इसी रोमांच की खोज में कई मर्तबा पर्यटक अपने जोखिम पर नदी-नालों की ओर बढ़ जाते हैं, जिससे हर वक्त किसी अप्रिय घटना का भय बना रहता है। हिमाचल सरकार या प्रशासन यदि इस दिशा में एक व्यावहारिक व दूरगामी नीति के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती है, तो जहां पर्यटन की कई अछूती संभावनाओं तक पहुंचा जाएगा, वहीं पर्यटकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। हिमाचल प्रदेश की अन्य नदियों में इस खेल की संभावनाएं तलाशनी चाहिएं। पर्वतारोहण के लिए भारत सरकार का संस्थान मनाली में है, मगर डिक्की डोलमा के दल के बाद ज्यादा प्रगति इस साहसिक खेल में भी नहीं हो पाई है। बर्फ पर आयोजित होने वाले खेलों में राष्ट्रीय स्तर से लेकर विश्व स्तर तक कई प्रतियोगिताएं आयोजित होती रहती हैं, जिनमें एशियाई व शीतकालीन ओलंपिक भी शामिल हैं। मनाली के शिव केशवन एक जाना-पहचाना नाम है। पिछले दिनों संपन्न हुई एशियाई ल्यूज प्रतियोगिता में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता है।

इस स्लाइडर ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी हाजिरी दर्ज की। वह 1998 के शीतकालीन ओलंपिक में अकेला भारतीय था। इसके बाद वह लगातार 2014 तक के पांच ओलंपिक खेला। अगले वर्ष 2018 में आयोजित होने वाले शीतकालीन खेलों में वह इसी बार ओलंपिक में भाग लेने उतरेगा। एशियाई रिकार्ड धारी इस स्लाइडर की तैयारी में हिमाचल की भूमिका कहीं नहीं रही है। मनाली के पास वशिष्ठ गांव के इस स्टार स्लाइडर की तैयारी में इटली के प्लोरेंस विश्व विद्यालय का अहम योगदान रहा है, जहां पर इसने राजनीति विज्ञान की पढ़ाई भी की है। इटली की टीम के टेक उपयोग कर ऊंचाई तक पहुंचे शिव केशवन इस वर्ष जनवरी में भी अपने लिए आयोजक तलाश रहा है, जो उसके प्रशिक्षण कार्यक्रम का खर्चा वहन कर सके। केशवन एक बार फिर शीतकालीन ओलंपिक खेलों में प्रतिनिधित्व करने जा रहा है। हिमाचल सरकार को चाहिए कि इस अति प्रतिभावान खिलाड़ी की आर्थिक सहायता की जाए। हिमाचल प्रदेश से कई और शिव केशवन निकल सकते हैं, यदि सोलंग नाला की ढलानों सहित हिमाचल में और जगह जहां-जहां इनकी प्ले फील्ड हो सकती हैं, वहां पर प्रशिक्षण सुविधा जुटाई जाए। हिमाचल सरकार तथा इन खेलों के संघों को चाहिए कि हिमाचल को कुदरत ने बनाया ही साहसिक खेलों के लिए है। इन खेलों के लिए प्रशिक्षण सुविधा तथा ट्रेनर उपलब्ध करवा कर अधिक से अधिक युवा व किशोर खिलाडि़यों को आकर्षित करें। खेलों को बढ़ावा देने का एक मतलब है, हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देना।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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