सही नहीं उर्दू से बेगानापन
(किशन सिंह गतवाल, सतौन, सिरमौर)
समझ नहीं आता कि भारत और हिमाचल में उर्दू भाषा को खत्म करने के प्रयास क्यों किए जा रहे हैं? उर्दू एक ऐसी भाषा है, जिसका एक समृद्ध साहित्य रहा है। उसे किसी संप्रदाय विशेष की बपौती मानने के बजाय एक रसपूर्ण भाषा के तौर पर देखने का दृष्टिकोण पैदा करने की जरूरत है। उर्दू भाषा आम बोलचाल और संपर्क भाषा का अच्छा काम करती रही है। इसको पढ़ने-लिखने और समझने वाले लोग कम नहीं हैं। रक्षा आवश्यकता के लिए भी यह बहुत कारगर साबित हो सकती है। हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में क्या कहा सुना जाता है, इसका सहज ज्ञान यह भाषा कराती है। उर्दू साहित्य की कई विधाओं का ज्ञान हर भारतीय के लिए जरूरी है। हिमाचल सरकार को इस भाषा के प्रचार-प्रसार और अध्यापन की शीघ्र कारगर व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि भावी पीढ़ी इस भाषा का ज्ञान पा सके।
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