सेना के अमले में होगी भारी कटौती!

By: Jan 10th, 2017 12:14 am

newsनई दिल्ली — सेना में कटौती के चीन के निर्णय का अनुसरण करते हुए रक्षा मंत्रालय की एक समिति ने थल सेना के अमले में भारी कटौती की सिफारिश की है, जिसमें बेवजह के खर्चों को कम कर कुछ सैन्य संस्थाओं को बंद करने तथा कुछ अन्य का आकार छोटा करने की बात कही गई है, जिससे सेना को चुस्त-दुरुस्त और कुशल बनाया जा सके। रक्षा मंत्रालय ने लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेकतकर की अध्यक्षता में गठित समिति को सशस्त्र सेनाओं के विभिन्न अंगों के कामकाज की विस्तार से समीक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। समिति को सेना की युद्ध क्षमता तथा कौशल बढ़ाने के उपाय सुझाने को भी कहा गया था। सूत्रों के अनुसार समिति ने पिछले महीने के अंत में रक्षा मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। यदि समिति की सभी सिफारिशों को पूरी तरह लागू किया जाता है तो इससे अगले पांच वर्षों में 25 से 30 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। उल्लेखनीय है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना में बिना जरूरत की संस्थाओं को बंद कर भारी भरकम कटौती की घोषणा की थी। समिति ने साथ ही यह भी सिफारिश की है कि कटौती के कारण होने वाली बचत का उपयोग सेना की क्षमता बढ़ाने में किया जाना चाहिए। समिति ने रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाली गैर लड़ाकू संस्थाओं जैसे रक्षा संपदा, रक्षा लेखा विभाग, डीजी क्यूए, आर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और राष्ट्रीय कैडेट कोर के कामकाज की समीक्षा की भी सिफारिश की है। तीनों सेनाओं में समन्वय के मुद्दे पर शेकतकर समिति ने मध्यम श्रेणी के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए संयुक्त सेवा युद्ध कालेज की स्थापना की जरूरत बताई है। अभी सेना, वायु सेना और नौसेना के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए तीन अलग-अलग युद्ध कालेज हैं। समिति ने यह भी कहा है कि पुणे स्थित सैन्य खुफिया स्कूल को तीनों सेनाओं के खुफिया प्रशिक्षण केंद्र की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र सेनाओं के बीच समन्वय के लिए एक नोडल केंद्र बनाने पर भी जोर दिया है। इसके लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ या परमानेंट चेयरमैन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी को यह भूमिका निभाने के लिए कहा गया है।

वियतनाम को बेचेंगे आकाश

नई दिल्ली – भारत सतह से हवा में मार करने में सक्षम स्वदेशी आकाश मिसाइल को वियतनाम को बेचने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। इतना ही नहीं भारत यह भी साफ कर चुका है कि वह अपने मित्र देशों को उनकी सुरक्षा जरूरतों के मद्देनजर आकाश मिसाइल के अलावा ब्रह्मोस मिसाइल की सप्लाई कर सकता है। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच यह समझौता चीन के एशिया-पैसेफिक क्षेत्र में बढ़ते दबदबे के चलते भी संभव है।


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