स्वर्णिम उम्मीदों का धर्मशाला खेल छात्रावास

By: Jan 20th, 2017 12:07 am

newsभूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

धर्मशाला खेल छात्रावास में कई प्रतिभावान धाविकाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं, जो भविष्य में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। आने वाले वर्षों में ये धाविकाएं ईमानदारी से अपना प्रशिक्षण जारी रखती हैं, तो अगले ओलंपिक, राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों में ये भारत का प्रतिनिधित्व कर देश को पदक दिला सकती हैं…

हिमाचल प्रदेश में भारतीय खेल प्राधिकरण के दो खेल छात्रावास हैं। लड़कों के लिए बिलासपुर में और लड़कियों के लिए धर्मशाला में प्रशिक्षण कार्यक्रम कुछ चुनिंदा खेलों में साई दे रही है। धर्मशाला खेल छात्रावास को सबसे पहले राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने का श्रेय प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल की ट्रेनी मंजु कुमारी को जाता है, जब डेढ़ दशक पूर्व उसने राष्ट्रीय स्कूली एथलेटिक्स प्रतियोगिता में हिमाचल के लिए स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद हिमाचल को इस प्रशिक्षक ने कई बार राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में पदक तालिका में जगह दिलाई। इसी के शुरुआती प्रशिक्षण में राष्ट्रीय भाला प्रक्षेपक संजो देवी ने स्कूली तथा कनिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिमाचल के लिए पदक जीते थे। आशा कुमारी ने भी अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय खेलों में दस हजार मीटर में स्वर्ण तथा पांच हजार मीटर दौड़ में रजत पदक जीतकर 2005 विणावेली अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ धाविका का ताज भी पहना था।

यह धाविका दो बार अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स क्रॉस कंट्री प्रतियोगिता, 2005 तथा 2006 में व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक विजेता भी रही थी। टीम स्पर्धा में हिमाचल को उपविजेता ट्रॉफी मिली थी। 2008 में प्रशिक्षक केहर सिंह का तबादला धर्मशाला से बिलासपुर हो गया तथा धीरे-धीरे यह प्रशिक्षण केंद्र एथलेटिक्स में पिछड़ता चला गया। एक समय ऐसा भी आ गया, जब इस प्रशिक्षण केंद्र की धाविकाओं को राज्य स्तर पर पदक प्राप्त करना भी कठिन हो गया था। भारतीय खेल प्राधिकरण इस केंद्र से एथलेटिक्स को बंद करने ही जा रहा था, उस समय फिर केहर सिंह धर्मशाला नियुक्त हुए और पिछले तीन वर्षों में एक बार फिर यह केंद्र एथलेटिक्स में अपनी चमक बिखेर रहा है। इस केंद्र की धाविका हरमिलन कौर ने बीते वर्ष कनिष्ठ राष्ट्रीय एथलेटिक्स में रिकार्ड क्वालिफाई समय में रजत पदक 1500 मीटर दौड़ में जीतकर विश्व कनिष्ठ एथलेटिक्स प्रतियोगिता में हिस्सेदारी की तथा एशियाई कनिष्ठ प्रतियोगिता में कांस्य पदक भी जीता है। बीते वर्ष ही राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हुए सभी एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल की शिष्यों ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए हिमाचल के लिए पदक जीते हैं।

फेडरेशन कप में हिना ठाकुर ने 5000 मीटर में स्वर्ण पदक जीता। इसी धाविका ने अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के लिए 5000 मीटर की दौड़ में कांस्य पदक जीता है। वर्ष 2012-13 के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को यह पदक मिला है। 2012-13 में हमीरपुर महाविद्यालय की ज्योति ने 400 मीटर में कांस्य पदक जीता था। ज्योति के प्रशिक्षण की शुरुआत भी प्रशिक्षक केहर सिंह के द्वारा ही हुई है। स्कूली राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में इस वर्ष धर्मशाला खेल छात्रावास की सीमा ने 5000 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीता है। हिमाचल स्कूल को भी यही एकमात्र पदक इस प्रतियोगिता में मिला है। राष्ट्रीय क्रॉस कंट्री प्रतियोगिता में इसी खेल छात्रावास की धाविका कनिजों ने जूनियर वर्ग में व्यक्तिगत रजत पदक हिमाचल के लिए जीता है। इस प्रतियोगिता में भी हिमाचल को केवल यही एकमात्र पदक मिला है। प्रशिक्षक पटियाल एक बहुत ही कर्मठ और पेशे के प्रति ईमानदार प्रशिक्षक हैं। रविवार व राष्ट्रीय छुट्टियों में भी इस प्रशिक्षक को धर्मशाला के सिंथेटिक ट्रैक पर प्रशिक्षण करवाते देखा जा सकता है। इन पदक विजेता धाविकाओं के साथ-साथ इस प्रशिक्षण केंद्र में और कई प्रतिभावान धाविकाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं, जो निकट भविष्य में राष्ट्रीय  व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। अगर ईमानदारी ने अगले चार वर्षों तक ये धाविकाएं अपना प्रशिक्षण जारी रखती हैं, तो 2020 के ओलंपिक तथा 2022 के राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर देश को पदक दिला सकती हैं। इन बड़ी प्रतियोगिताओं में यदि ऐसी सफलता मिलती है, तो यह भारत के साथ-साथ पहाड़ी राज्य हिमाचल के लिए भी गौरव का विषय होगा। प्रदेश के अन्य एथलेटिक्स प्रशिक्षकों को भी इस प्रशिक्षक से प्रेरणा लेकर राज्य की एथलेटिक्स को ऊपर उठाने का प्रयत्न करना चाहिए। राज्य खेल विभाग बिलासपुर में लड़कियों तथा ऊना में लड़कों के लिए खेल छात्रावास चला रहा है। पिछले एक दशक से भी अधिक समय से चल रहे इन दोनों खेल छात्रावासों से एक भी धावक या धाविका राज्य को पदक दिलाने में नाकामयाब रहे हैं।

इस सब के लिए वहां लगे प्रशिक्षक अपनी जिम्मेदारी से नहीं छूट सकते हैं। हालांकि अभी भी कुछ ज्यादा नहीं बिगड़ा है। इन दोनों ही छात्रावासों के धावकों तथा उनके प्रशिक्षकों को चुनौती लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखना होगा, ताकि आगामी वर्षों में यहां से भी राज्य को पदक मिल सके। प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल को खत्म हुए सत्र में भारी सफलता के लिए खेल जगत बधाई देता है तथा आगामी वर्ष के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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