आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं मिल रही विटामिन-ए

By: Feb 6th, 2017 12:01 am

आयरन-आई ड्रॉप्स-फोलिक एसिड भी गायब

शिमला— प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में दी जाने वाली हैल्थ किट सभी स्थानों पर नहीं पहुंच रही है, जहां दवाइयां दी भी जा रही हैं वे किट में बंद करके नहीं बल्कि खुले में ही आंगनबाड़ी वर्कर्ज तक पहुंच रही हैं। अधिकतर केंद्रों पर पिछले लंबे समय से विटामिन-ए और अल्बेंडाजोल नहीं दी गई है। इसके अलावा केंद्रों पर आयरन, आइड्रॉप्स और खांसी की दवा और गर्भवति महिलाओं को दी जाने वाली फोलिक एसिड भी काफी समय से केंद्रों पर नहीं मिल रही है। इसके कारण अभिभावक बाजार से महंगे दामों पर दवाएं खरीदने को मजबूर हैं। आंगनबाड़ी में दी जाने वाली हैल्थ किट को किस्तों में बांटा जा रहा है, कहीं कोई दवाइयां दी जा रही हैं तो कहीं कोई। इसको दिए जाने का समय भी निर्धारित नहीं है।  ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अभिभावकों का कहना है कि मौसम में लगातार परिवर्तन के कारण नौनिहालों को अकसर खांसी की शिकायत होती है। इसलिए केंद्रों पर खांसी की दवा जरूर उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इसके अलावा विटामीन-ए की डोज भी इस बार केंद्रों में बच्चों को नहीं पिलाई जा सकी है, क्योंकि केंद्रों में दवा उपलब्ध ही नहीं है।

अभाव में हो सकते हैं ये विकार

चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक पोषक ए आंखों से देखने के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। साथ ही यह बीमारी से बचने के काम आता है। यह पोषक शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाए रखने में मदद करता है जैसे कि त्वचा, बाल, नाखून, ग्रन्थि, दांत, मसूडा और हड्डी। सबसे महत्त्वपूर्ण स्थिति जोकि सिर्फ पोषक ए के अभाव में होता है, वह है अंधेरे में कम दिखाई देना, जिसे रतौंधी कहते हैं। बच्चों में पोषक ए के अभाव में विकास धीरे हो जाता है, जिससे कि उनके कद पर असर कर सकता है। त्वचा और बालों में भी सूखापन हो जाता है और उनमें से चमक चला जाती है।

 ये हैं मुख्य स्रोत

विशेषज्ञों की मानें तो एक व्यक्ति को 5,000 यूनिट विटामिन-ए की आवश्यकता होती है। यह विटामिन आप मछली के तेल, अंडा, पालक, मक्खन, टमाटर और गाजर आदि से प्राप्त कर सकते हैं। मछली के तेल में सबसे ज्यादा विटामिन-ए पाई जाता है।


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