कत्ल के लिए उठे हाथों ने थामी ‘कलम’

By: Feb 17th, 2017 12:02 am

शिमला  — जेल विभाग कैदियों को  चित्रकला भी सिखा रहा है। इसकी शुरुआत शिमला के कैथू सब जेल से की गई। जेल विभाग की दूसरे जिलों में भी कैदियों को चित्रकला की बारीकियां सिखाने की योजना है। यही नहीं राज्य की सभी जेलों की दीवारों को बेहतरीन पेंटिंग से संवारा जाएगा, ताकि यहां रहे कैदी सुकून महसूस कर सकें। जेल विभाग द्वारा कैथू सब जेल में कैदियों के सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों से मीडिया को अवगत करवाया गया। शिमला के कैथू सब जेल में कैदियों को चित्रकला सिखाने के लिए दो युवा चित्रकारों  घनश्याम और रेणु आगे आई हैं। ये दोनों चित्रकार इन दिनों कैदियों को चित्रकला की बारीकियों को बिना किसी शुल्क के सिखा रहे हैं। यहां अभी तीन कैदी चित्रकला को सीख रहे हैं और यहां वे यहा की दीवारों पर चित्र उकेर रहे हैं। दरअसल चित्रकला  का काम रचनात्मकता का है, जिससे कैदियों को अपने मनोभावों को भी व्यक्त करने का मौका मिलता है। जेल विभाग अभी कैथू जेल की दीवारों में पेंटिंग करवा रहा है। पेटिंग सीख रहे कैदी शरीफ मोहम्मद, मगर सिंह व सतेंद्र सिंह की मानें तो इससे उनके  अंदर छिपी सृजनात्मकता सामने आ रही है। ये तीनों कैदी जेल में हत्या की सजा काट रहे हैं। उनकी मानें तो चित्रकला के माध्यम से अपने मनोभावों को व्यक्त कर रहे हैं, इससे उनको सूकून भी मिल रहा है। बताया जा रहा है कि कैथू के बाद दूसरे जेलों में भी कैदियों को चित्रकला सिखाई जाएगी वहीं  इन जेलों की दीवारों को भी खूबसूरत रंगों से भरा जाएगा। इसके लिए जेल विभाग स्वयं-सेवियों की मदद लेगा। सब जेल कैथ में महिला कैदियों को बुनाई का काम सिखाया जा रहा है। मौजूदा समय में सब जेल कैथू में चार महिला कैदी सजा काट रहे हैं । वहीं पूरे प्रदेश की बात करें सभी जेलों में कुल 71 महिला कैदी रह रही हैं। यहां रह रही महिलाओं की कहना है कि बुनाई सीखने के बाद वे अब बोर नहीं होतीं वहीं इनके हाथों के बने स्वैटर व दूसरी चीजें परिवारवालों के भी काम आ रही हैं।  सब-जेल में कैदियों को बैकरी उत्पाद तैयार करने का हुनर भी यहां सिखाया जा रहा है। इससे कैदी अपनी कमाई भी कर रहे हैं। यहां बेकरी का काम कर रहे चेतन कुमार व राजवदेव साहनी कहते हैं कि पहले वे बिना काम के बेकार पड़े रहते थे, लेकिन जब से बेकरी बनाने का काम सीखा तब से समय तो कटता ही है साथ में कुछ कमाई भी कर रहे हैं। हालांकि मार्केट की कमी की वजह से ज्यादा उत्पाद नहीं बिक पाते, बावजूद वे डेढ़ हजार प्रति माह अपने परिवार को भेज रहे हैं। डीजीपी सोमेश गोयल ने पत्रकारों को बताया कि जेल विभाग का प्रयास कैदियों की प्रतिभा को उभारने का रहता है। इसके लिए कैदियों को चित्रकला सिखाई जा रही है। उन्होंने कहा कि वे अन्य जेलों में कैदियो को इसका प्रशिक्षण देने जा रहे हैं, इसके लिए स्वंय सेवियों की मदद ली जाएगी। उन्होंने कालेजों में कार्यरत शिक्षकों व छात्रों से इस नेक काम में मदद करने की अपील की है।


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