कालेजों में हो खेल विंग के लिए विशेष बजट

By: Feb 17th, 2017 12:02 am

भूपिंदर सिंह

( भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं )

प्रदेश में महाविद्यालय स्तर की खेलों के लिए सरकार कोई धन नहीं देती है। ये खेल विद्यार्थियों से मिले खुले शुल्क से ही चलाए जाते हैं, जबकि राज्य के अस्सी प्रतिशत 18 से 25 वर्ष के युवा राज्य के महाविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं…

हिमाचल प्रदेश में पिछले कई वर्षों से मांग हो रही है कि महाविद्यालय स्तर पर खेल विंग विभिन्न खेलों के लिए खेल सुविधा के अनुसार शुरू किए जाएं। राज्य में प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के अंतर्गत इस समय एक शतक से अधिक महाविद्यालय प्रदेश के हर जिला में कला, विज्ञान तथा अन्य विद्याओं में स्नातक तथा स्नातकोत्तर डिग्री कक्षाओं के लिए शिक्षण दे रहे हैं। इन महाविद्यालयों की सुचारू रूप से हर वर्ष अंतर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं तथा अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय  खेलों में भी हर वर्ष हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व होता रहता है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय कुछ खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन भी करता है। यह प्रदर्शन उन्हीं खेलों में नजर आता है, जिनके लिए राज्य में या तो खेल छात्रावास हैं या कोई निजी स्तर पर प्रशिक्षण चला रहा है। कबड्डी में भारतीय खेल प्राधिकरण धर्मशाला व बिलासपुर और लड़कियों के लिए राज्य खेल छात्रावास बिलासपुर भी अच्छे परिणाम दे रहा है।

इसी तरह एथलेटिक्स में आजकल धर्मशाला का साई खेल छात्रावास अच्छे परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर दे रहा है। वर्षों पहले डा. ओपी शर्मा, तत्कालीन प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर ने एथलेटिक्स तथा जूडो के प्रशिक्षकों को महाविद्यालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने का सहयोग दिया था। उसी का परिणाम रहा कि राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर दो दशकों तक अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करता रहा। इसी प्रकार उसी समय महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय सुंदरनगर में मुक्केबाजी का प्रशिक्षण वहां के तत्कालीन प्राचार्य डा. सूरज पाठक ने शुरू करवाया था। आज तक यह महाविद्यालय अंतर विश्वविद्यालय स्तर पर मुक्केबाजी में प्रदेश विश्वविद्यालय को पदक जिता रहा है। राज्य में विभिन्न महाविद्यालयों में खेल सुविधाओं के अनुसार कम से कम एक खेल के लिए प्रशिक्षक तथा खिलाडि़यों के लिए खुराक की व्यवस्था करवाई जाती है, तो प्रदेश में खेलों के स्तर पर बढ़ोतरी होगी। खेल प्रशिक्षक के बगैर खेल परिणाम लाना संभव नहीं है। इसलिए अनुबंध पर ही सही, महाविद्यालय स्तर पर यह सुविधा होनी चाहिए।

महाविद्यालय स्तर पर विद्यार्थी बीस वर्ष की आयु के आसपास होता है। यह आयु उच्च खेल परिणाम की शुरुआत होती है। इसलिए इस स्तर पर राज्य के महाविद्यालयों में मैदान, खेल सामान तथा प्रशिक्षक जैसी सुविधा बेहद जरूरी हो जाती है। पंजाबी विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले अधिकांश महाविद्यालयों के पास पंजाब में खेल विंग हैं। हमारे प्रदेश में स्कूली स्तर पर खेल छात्रावास विभिन्न खेलों के लिए हैं, मगर महाविद्यालय स्तर पर राज्य में खेल विंग न होने के कारण ये खिलाड़ी अधिकतर पंजाब के खेल विंगों का रुख करते हैं। यही कारण है कि पंजाब में पंजाबी तथा गुरु नानक विश्वविद्यालय की टीमों में कई अच्छे खिलाड़ी हिमाचली होते हैं।  युवाओं में खेलों के प्रति रुझान पैदा करने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। युवाओं को अपने प्रदेश में सुविधाएं मिलें और आगे बढ़ने के मौके मिलें, तो वे बाहरी राज्यों की तरफ क्यों रुख करेंगे। प्रदेश में हर खेल का प्रशिक्षक हो, हर खेल को खेलने के लिए मैदान हो, तभी तो प्रतिभा अपना जौहर दिखा सकती है। बिना प्रशिक्षक के खिलाडि़यों से मेडल जीतने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। राज्य सरकार को चाहिए कि वह इस वर्ष के बजट में महाविद्यालय स्तर पर खेलों  को बढ़ावा देने के लिए धनराशि का प्रावधान करे।

महाविद्यालय स्तर की खेलों के लिए सरकार कोई धन नहीं देती है। ये खेल विद्यार्थियों से मिले खुले शुल्क से ही चलाए जाते हैं, जबकि राज्य के अस्सी प्रतिशत 18 से 25 वर्ष के युवा राज्य के महाविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। राज्य में युवा शक्ति को अधिक से अधिक उचित दिशा में ले जाना है तो उसका एकमात्र माध्यम है खेल तथा  जब अधिक से अधिक लोग खेलों में भागीदारी करेंगे तो उनमें से अच्छे पदक विजेता खिलाड़ी भी निकलेंगे। इसलिए इस बार के बजट में हिमाचल का युवा महाविद्यालय स्तर पर जहां अपने लिए खेल विंग चाहता है, वहीं पर खेल सुविधाओं के लिए भी बजट से आशा करता है। यही नहीं, बजट उपलब्ध करवाने के बाद यह भी यकीनी बनाया जाए कि जिस उद्देश्य के लिए बजट सरकार द्वारा दिया गया है, क्या बजट उसी हिसाब से खर्च किया जा रहा है। अकेला प्रशिक्षक भी बिना बजट के प्रतिभाओं को निखार सकता है। खिलाड़ी में अगर आगे बढ़ने की क्षमता है, तो उसे आगे बढ़ाने के लिए बजट में उन सुविधाओं की व्यवस्था करनी चाहिए, जिनके अभाव में वह पिछड़ जाता है।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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