गणेश पुराण

By: Feb 4th, 2017 12:05 am

इस तरह पराजित होकर कुबेर मुकुट विहीन इंद्र के पास आया। जैसे ही कुबेर युद्ध से अलग हुआ, तो यहां चंद्रमा के पुत्र बुध ने अपनी अमोघ          माया का प्रसार किया। उससे चारों तरफ अंधकार छा गया। दानवों के बहुत प्रयत्न करने पर भी कुछ दिखाई नहीं पड़ा और इस अवस्था में बुध ने दानवी सेना का बहुत नाश कर दिया…

दोनों में भयंकर युद्ध हो रहा था और उस भयंकरता में एक-दूसरे को परास्त कर रहे थे। थोड़े समय बाद पहले कुबेर ने अपनी शक्ति के प्रहार से कुजंब को बेहोश कर दिया और उसके बाद कुजंब ने स्वस्थ होकर कुबेर पर मारक प्रहार किया। कुबेर को मूर्छित देखकर निऋर्त नाम का एक देवता राक्षसों से लड़ने के लिए आया। उसने अपनी सेना को अपने सामने देखकर कुजंब बहुत उछल-उछल कर अपना पराक्रम दिखाने लगा और दूसरी ओर निऋर्ति भी डटकर युद्ध करने लगा। इधर जंबासुर ने कुबेर के अनेक रत्न, हीरे, मणियां एकत्रित कर लिए। इस बीच जब कुबेर की चेतना लौटी तो उसने राक्षस के नाश करने का विचार किया। उसने ध्यान धारण करके अपना गरुड़ बाण छोड़ा, उसके छूटते ही धुआं, चिंगारियां और आग के गोले निकलने लगे। चारों तरफ इस गर्मी को सहने के कारण सैनिक बेचैन हो गए। कुबेर के इस आक्रमण के बाद जंबासुर कुबेर पर झपट कर चढ़ा तो कुबेर भाग गया और भागते हुए उसका मुकुट जंबासुर के हाथ में आ गया। तब उस राक्षस ने उस मुकुट को अपने रथ की ध्वजा के साथ लटका दिया। जिससे कुबेर की पराजय का निश्चय हो जाए। इस तरह पराजित होकर कुबेर मुकुट विहीन इंद्र के पास आया। जैसे ही कुबेर युद्ध से अलग हुआ तो यहां चंद्रमा के पुत्र बुध ने अपनी अमोघ माया का प्रसार किया। उससे चारों तरफ अंधकार छा गया। दानवों के बहुत प्रयत्न करने पर भी कुछ दिखाई नहीं पड़ा और इस अवस्था में बुध ने दानवी सेना का बहुत नाश कर दिया। अपने सैनिकों को इस तरह से नष्ट होते हुए देखकर दानव राजा महिषासुर ने एक शस्त्र छोड़ा। जिससे आकाश में मेघ छिदर गया और सूर्य चमकने लगा। अंधकार के नष्ट होने होने के बाद दानवों ने भयंकर आक्रमण किया। इससे देवता व्याकुल हो उठे। कुजंब ने निऋर्ति पर आक्रमण किया और निऋर्िति ने भी उसके आक्रमण पर प्रत्याक्रमण करके उसे विफल कर दिया। कुजंब अपने रथ से नीचे उतर आया और अपनी खड्ग लेकर बुध के ऊपर आक्रमण करने लगा। इधर, निऋर्ति ने कुजंब की छाती में अपने मुदगर से गहरा प्रहार किया। इससे उसका मनोबल टूट गया फिर भी वह बाएं हाथ से उसके रथ पर चढ़कर उसके बाल पकड़कर सिर काटने के लिए तैयार हो गया, लेकिन तभी वरुण वहां आ गए और कुजंब की भुजाएं बांध दीं तथा उस पर प्रहार किया। मयदानव ने जब यह स्थिति देखी, तो वरुण को सबक सिखाने के लिए उसने अपना मुंह खोल दिया। उसके खुले हुए मुख को देखकर दोनों कांपने लगे और इंद्र की शरण में आए। दूसरी ओर महिषासुर वरुण की ओर लपका, तो उसने वायु अस्त्र छोड़कर भयंकर हवा चला दी। चंद्रमा के द्वारा वायु अस्त्र छोड़ने पर दानव ठंड से ठिठुरने लगे और इधर-उधर भागने लगे। वे भागते-भागते इस तरह से जम गए कि बिलकुल हाथ-पांव न हिला सके।


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