चिदंबरम मंदिर

By: Feb 4th, 2017 12:07 am

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने आनंद नृत्य की प्रस्तुति यहीं की थी, इसलिए इस जगह को आनंद तांडव के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के महत्त्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह भारत के पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक है…

चिदंबरम मंदिरचिदंबरम मंदिर भारत के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है। यहां नटराज शिव की नृत्य मुद्रा मनमोहक है। भारत में बहुत कम ऐसे मंदिर हैं, जहां शिव और वैष्णव दोनों मंदिर एक ही स्थान पर प्रतिष्ठित हैं। चिदंबरम मंदिर दक्षिण भारत के पुराने मंदिरों में से एक है, जो एक हिंदू मंदिर है। यह तमिलनाडु की राजधानी से 245 किलोमीटर दूर चेन्नई-तंजावुर मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने आनंद नृत्य की प्रस्तुति यहीं की थी, इसलिए इस जगह को आनंद तांडव के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के महत्त्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह भारत के पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव के एक अन्य रूप नटराज और गोविंदराज पेरुमल को समर्पित है, जो अति प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है।  मंदिर में कुल नौ द्वार और चार गोपुरम हैं।

नटराज शिव का विशेष आकर्षण-  नटराज शिव की मूर्ति की एक अनूठी विशेषता है। नटराज आभूषणों से लदे हुए हैं, जिनकी छवि अनुपम है। यह मूर्ति भगवान शिव को भरतनाट्यम नृत्य के देवता के रूप में प्रस्तुत करती है। बताया जाता है कि यह उन कुछ मंदिरों में से एक है, जहां शिव को प्राचीन लिंगम के स्थान पर मानवरूपी मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। मंदिर की बनावट इस तरह है कि इसके हर पत्थर और खंभे पर भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएं अंकित हैं।

गोविंदराज मंदिर- गोविंदराज और पंदरीगावाल्ली का मंदिर भी चिदंबरम मंदिर के इसी भवन में स्थित है, जो शिव के बिलकुल निकट स्थापित हैं। मंदिर में एक बहुत ही खूबसूरत तालाब और नृत्य परिसर भी है। यहां हर साल नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश भर से कलाकार हिस्सा लेते हैं।

पांच सभाओं वाला हाल- पांच सभाओं वाला हाल भी यहां देखने लायक है, जो देवी-देवताओें के संसार में विचरण करने के लिए बाध्य कर देता है। दक्षिणी मान्यता के अनुसार भगवान देवी काली के साथ यहीं नृत्य किया करते थे। गोपुरम को बारीक नक्काशी से सजाया है।

भगवान नटराजन का रथ- आपको यहां आने पर उस रथ के दर्शन भी हो जाएंगे, जिस पर भगवान नटराजन साल में दो बार चढ़ा करते थे। उसी रथ को भक्तों द्वारा त्योहारों के दिन खींचा जाता है। उस समय रथ को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

आनंद तांडव मुद्रा- भगवान शिव की आनंद तांडव मुद्रा पूरे विश्व में प्रसिद्घ है। यह नृत्य मुद्रा हमें यह बताती है कि किसी नर्तक या नर्तकी को कैसे भरतनाट्यम नृत्य करना चाहिए।


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