नशा बेच घर चला रहीं महिलाएं

By: Feb 15th, 2017 12:20 am

स्टेट बार्डर एरिया में खेप सहित धरी जा चुकी हैं 40 औरतें

newsमटौर – प्रदेश के बार्डर एरिया में रहने वाली महिलाओं ने नशे की तस्करी को अपनी आजीविका का साधन बना लिया है। यह खुलासा एंटी नार्कोटिक्स ड्रग महिला सैल की जांच में हुआ है। बता दें कि प्रदेश में पहली बार उक्त सैल का गठन किया गया है। इसकी शुरुआत जिला कांगड़ा से हुई है। सैल में 14 तेज-तर्रार महिला पुलिस की टीम है। इसमें एक सब-इंस्पेक्टर रैंक की अफसर व बाकी हैड-कांस्टेबल और कांस्टेबल शामिल हैं। बाहरी राज्यों के साथ लगते बार्डर एरिया में की गई रेड के दौरान 40 महिला तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें ज्यादातर महिलाएं नूरपुर एरिया के पंजाब से सटे क्षेत्रों से पकड़ी गई हैं। बताया जा रहा है कि इन्होंने नशे की तस्करी से लाखों की संपत्ति जुटा ली है। पुलिस उनकी संपत्ति की भी जाचं कर रही है। पूछताछ के दौरान पकड़ी गई महिला तस्करों में से कुछ ने कबूल किया है कि तस्करी के तार पंजाब, यूपी, दिल्ली और गुरुग्राम से जुड़े हैं। महिलाएं नशीले कैप्सूलों के अलावा अन्य मादक पदार्थों की भी तस्करी करती हैं। महिला तस्करों ने बताया कि नशे की तस्करी से थोड़े ही समय में अच्छी कमाई हो जाती है। इसलिए उन्होेंने इस राह को चुना। साथ ही महिलाओं पर कोई शक नहीं करता इसलिए वे कई वर्षों से अपने काम को अंजाम दे रही थीं। इन महिला तस्करों से जुटाए गए सबूतों के आधार पर पुलिस टीम ने उक्त राज्यों में जाकर रेड की है और  दर्जन भर तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि ये तस्कर नशीले कैप्सूलों  की खेप इन महिलाओं तक पहुंचाते थे। बाद में इन महिलाओं से नशीले कैप्सूलों की यह खेप शिक्षण संस्थानों के छात्रों तक विभिन्न माध्यमों से पहुंचाई जाती थी। यह बताया जा रहा है कि नगरोटा और शाहपुर में सबसे ज्यादा इन नशीले कैप्सूलों की सप्लाई की जाती है।

लचर व्यवस्था के चलते छूटते हैं आरोपी

आपको बता दें कि नशीले कैप्सूलों की जो खेप पकड़ी जाती है। यह मामला एंटी ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट में आता है। पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार तो कर लेती है, लेकिन उनके खिलाफ केस दर्ज करने की पावर पुलिस के पास नहीं है। पूछताछ के बाद पुलिस को इन्हें ड्रग इंस्पेक्टर के सुपुर्द करना पड़ता है। प्रदेश में ड्रग इस्पेक्टरों की कमी से तो सब वाकिफ हैं। एक ड्रग इस्पेक्टर के पास दो-दो जिलों का कार्यभार है। ऐसे में केस ढीले पड़ जाते हैं और आरोपी बाद में छूट जाते हैं।


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