ब्रह्मकुंड राजगीर
ऐसे तो हमारे देश में कई सारे ऐसे कुंड हैं, जहां से गर्म पानी निकलता है। पर आज हम आपको बताने जा रहे है पटना के समीप स्थित राजगीर के बारे में। राजगीर को भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। देव नगरी राजगीर सभी धर्मों की संगम स्थली है। कथाओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ का आयोजन करवाया था। इसी दौरान यज्ञ में आए सभी देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी। तभी ब्रह्मा ने यहां 22 कुंड और 52 जलधाराओं का निर्माण कराया था। वैभारगिरि पर्वत की सीढि़यों पर मंदिरों के बीच गर्म जल के कई झरने हैं, जहां सप्तकर्णी गुफाओं से जल आता है। ऐसी संभावना जताई जाती है कि इसी पर्वत पर स्थित भेलवाडोव तालाब है, जिससे ही जल पर्वत से होते हुए यहां पहुंचता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल जैसे सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। इसकी वजह से जल गर्म और रोगों को मिटाने वाला होता है। यहां पर आप 22 कुंडों में स्नान कर सकते हैं। इन कुंडों के नाम अलग-अलग हैं। ब्रह्मकुंड सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसका तापमान 45 डिग्री सेल्सियस होता है। इसे पाताल गंगा भी कहा जाता है। सभी झरनों में स्नान करने के बाद इस कुंड में भी लोग स्नान करते हैं। जो सप्तधाराएं बहती हैं, उनके नाम भी ऋषि-मुनियों के नाम पर रखे गए हैं। 22 कुंडों में बह्मकुंड के अलावा मार्कंडेय कुंड, व्यास कुंड, अनंत ऋषि कुंड, गंगा-यमुना कुंड, साक्षी धारा कुंड, सूर्य कुंड, गौरी कुंड, चंद्रमा कुंड, राम-लक्ष्मण कुंड भी हैं। राम-लक्ष्मण कुंड में एक धारा से ठंडा और दूसरी से गर्म पानी निकलता है।
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