संस्कृति संजोने में लाहुल-स्पीति प्रदेश में नंबर वन

By: Feb 25th, 2017 12:03 am

विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग के निदेशक की सर्वे रिपोर्ट में खुलासा

newsकुल्ल —  प्रदेश का जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति अपनी संस्कृति को कायम रखने में प्रदेश में नंबर वन पर है। हालांकि प्रदेश के अन्य जिलों की संस्कृति आधुनिकता की भेंट चढ़ती जा रही है, लेकिन जिला लाहुल-स्पीति अभी तक अपनी संस्कृति को संजोए रखने में नंबर वन पर है। लाहुल-स्पीति की महिलाएं भारत के किसी भी कोने में रहती हों, लेकिन अपना पहनावा पहनना नहीं भूलती हैं। लाहुल-स्पीति जिला संस्कृति पर कायम रहने का खुलासा प्रदेश विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग के निदेशक की सर्वे रिपोर्ट से हुआ है। सर्वे में जो रिपोर्ट तैयार हुई है, उसमें पहनावा, रीति-रिवाज सहित अन्य संस्कृति से जुडे़ पहलुओं को देखा गया है। लाहुल-स्पीति जिला के लोग अपना पहनावा नहीं भूल गए हैं। जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति से काफी संख्या में महिलाएं सरकारी नौकरी पर हैं। यही नहीं, लाहुल की बेटियां हवाई जहाज को उड़ा रही हैं, समाज सेवा में अपनी भागीदारी निभा रही हैं और गायिकी  में अपना नाम कमा चुकी हैं। गृहिणी महिलाओं समेत ये सभी महिलाएं अपने जिला का पहनावा पहनने में हिचकचाती नहीं हैं। उन्हें अपने पहनावे से प्यार है। वहीं लाहुल-स्पीति के पुरुष भी अपने साज-सजा को नहीं भूल पाए हैं।

शादी-समारोह में नहीं बजते डीजे

प्रदेश में शादी या अन्य पार्टी समारोह बिना डीजे की धुनों के नहीं मनाए जाते हैं। डीजे की धुनों पर लोग नाचते हुए ज्यादा मनोरंजन करते दिख रहे हैं, लेकिन लाहुल-स्पीति जिला में अभी डीजे सिस्टम नहीं पहुंच पाया है। यहां पुराने वाद्य यंत्रों पर कार्यक्रम को बखूबी से निभाते हैं।

वाद्य यंत्र नगाड़ा-बांसुरी पर नाच

लाहुल-स्पीति जिला के लोग अपने पुरातन वाद्य यंत्र बांसुरी और नगाड़ा की धुनों पर अपना मनोरंजन करते हैं। लाहुल-स्पीति की बांसुरी वाद्य यंत्रों में प्रमुख है। पढ़े-लिखे लोग अपने पुरातन वाद्य यंत्रों को बजाकर अपना संस्कृति का सुकून  प्राप्त करते हैं। लाहुल-स्पीति में बांसुरी वादन नौ सौ साल पुराना है। वहीं शिमला गेयटी थियेटर में भी गत वर्षों 28 के करीब लाहुल-स्पीति जिला के बांसुरी वादक सम्मानित हुए हैं। बांसुरी वादकों ने  बांसुरी में लाहुल-स्पीति जिला के 40 पुराने रागों को कायम रखा है।


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