स्थानीय मौकों को लेकर सजग हों प्रतिभाएं

By: Feb 10th, 2017 12:02 am

भूपिंदर सिंह

( लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं )

जब हर स्कूल खंड स्तर की प्रतियोगिता में भाग नहीं लेगा, तो फिर जो प्रतिभा छूट जाएगी, उस तक तो पहुंचने के रास्ते बंद ही समझे जाएंगे। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि यह अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए कि खंड का हर स्कूल हर स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में भाग ले…

हिमाचल प्रदेश की जलवायु जहां खेल प्रशिक्षण के लिए बहुत ही उपयुक्त है, वहीं इसके विपरीत यहां खेलों का स्तर बहुत ही नीचे है। व्यक्तिगत प्रयासों या राज्य में चल रहे खेल छात्रावासों के दम पर कभी कभार इक्का-दुक्का सफलता जरूर राष्ट्रीय स्तर पर देखी जा सकती है। हिमाचल प्रदेश स्कूली क्रीड़ा संगठन प्रदेश स्तर पर आठवीं कक्षा तक के लिए अलग कार्य सहायक निदेशक शारीरिक शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत करता है और नौवीं से जमा दो तक उच्च निदेशालय का सहायक निदेशक शारीरिक शिक्षा राज्य के स्कूलों की खेलों को संचालित करता है। राज्य में कुछ चुनिंदा खेलों के लिए स्कूली स्तर पर खेल छात्रावास हैं। प्रदेश में दो राज्य खेल विभाग के तथा दो भारतीय खेल प्राधिकरण के खेल छात्रावास हैं। अधिकतर स्कूली खिलाड़ी इन छात्रावासों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, मगर यह सुविधा हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य के लिए बहुत कम है। प्रतिभा खोज के लिए हर वर्ष प्राथमिक, माध्यमिक तथा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों की खेलें खंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक आयोजित होती हैं। खंड स्तर पर होने वाली खेलों में अधिकतर स्कूल प्रतिनिधित्व ही नहीं कर पाते हैं। जब हर स्कूल खंड स्तर की प्रतियोगिता में भाग नहीं लेगा, तो फिर जो प्रतिभा छूट जाएगी, उस तक तो पहुंचने के रास्ते बंद ही समझे जाएंगे। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि यह अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जाए कि खंड का हर स्कूल हर स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में भाग ले। स्कूल में भी स्कूल के मुख्याध्यापक तथा प्राचार्य सुनिश्चित करें कि हर विद्यार्थी खेल मैदान में जाकर किसी न किसी खेल में हिस्सा ले।

खेल सुविधा के अनुसार वहां का शारीरिक शिक्षक विद्यार्थियों को सवेरे की मास पीटी तथा ड्रिल के पीरियड में शारीरिक गतिविधियों तथा खेल कराने के लिए ईमानदारी से अपना कार्य करें। खेल छात्रावासों तथा निजी प्रशिक्षकों के पास जो विद्यार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें प्रतियोगिता पूर्ण लगने वाले प्रशिक्षण शिविरों में न बुलाकर जहां वे हैं, वहीं पर उनका प्रशिक्षण शिविर मानकर उन्हें वह सुविधा दे दी जाए। हां, टीम स्पर्धा वाली खेलों के लिए भी प्रशिक्षण शिविर वहां लगाया जाए, जहां उस खेल के लिए सही प्ले फील्ड उपलब्ध है। खानापूर्ति के लिए प्रशिक्षण शिविर पर खर्चा करने से बेहतर है सीधे ही खिलाडि़यों को प्रतियोगिता में भेजा जाए, मगर टीम खेलों के लिए उचित जगह प्रशिक्षण शिविर जरूर है। हिमाचल प्रदेश की टीम जब राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने जाती है तो उसकी सीट सुरक्षित ही नहीं करवाई होती है। बिना सीट के दिनों का सफर खिलाड़ी अगर बिना आराम के करेगा तो फिर वह प्रतियोगिता में जाकर कैसा प्रदर्शन करेगा? बताने की जरूरत नहीं कि मैदान में कोई भी खिलाड़ी तभी बेहतर प्रदर्शन कर सकता है, यदि वह शारीरिक या मानसिक रूप से थकान रहित हो। यह बात तो आसानी से समझी जा सकती है, इसलिए जरूरी है कि समय रहते रेलवे में सीट की बुकिंग करवाई जाए। आम तौर पर लोगों की एक या दो संतानें हैं, उन्हें वे ठीक ढंग का रहन-सहन और खाना देते हैं। प्रतियोगिता व प्रशिक्षण शिविर के समय सौ रुपए में पूरे दिन में तीन वक्त का कैसा खाना मिलेगा, समझा जा सकता है। ठहरने के नाम पर स्कूल के कमरों में नीचे चटाई पर रात कैसे कटेगी, यह प्रश्न भी आज तक हल नहीं हो पाया है। नहाने तथा टायलट का प्रबंध तो फिर सोच से परे हो जाता है।

इन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कई प्रतिभावान खिलाडि़यों को उनके अभिभावक प्रतियोगिता में भेजने से परहेज करते हैं। कई अभिभावक आज स्वयं के खर्चे पर अपने बच्चों को प्रतियोगिता के समय होटल आदि उपलब्ध करवा सकते हैं, तो उन्हें यह कार्य करने देना चाहिए। विश्वविद्यालय स्तर पर एथलेटिक्स में जो अधिकतर पदक अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय खेलों में जीते गए हैं, वे खिलाड़ी उस समय अपने खर्चे पर अच्छे होटलों में आराम से रहे थे। तभी यह काम हिमाचली खिलाडि़यों के लिए संभव हो पाया था। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि स्कूल में हर विद्यार्थी का शारीरिक गतिविधि में प्रतिदिन भाग लेना अनिवार्य हो। खिलाडि़यों के ठहरने व खाने की व्यवस्था को स्तरीय बनाना होगा तथा दूर दिनों के सफर के लिए रेलवे में पहले बुकिंग करवानी होगी। जब तक यह पूरी व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक जो खिलाड़ी व्यक्तिगत स्पर्धाओं के हैं, उन्हें जो स्वयं अपना प्रबंध करने के लिए खुला छोड़ देना चाहिए। उनकी सुरक्षा के लिए उनके अभिभावकों से लिखित रूप में जरूर ले लिया जाए कि वे समय पर प्रतियोगिता स्थल पर पहुंच जाएंगे।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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