खिलाडि़यों को ईनाम और वजीफा दे बजट

By: Mar 10th, 2017 12:07 am

newsभूपिंदर सिंह

(लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं)

हिमाचल में अगर खेलों को सम्मानजनक स्तर तक ऊपर ले जाना है तो हमें हरियाणा की तरह इनामी राशि पंजाब की तरह खेल संस्थान का प्रबंधन हो तो इस बजट से ही शुरू करना होगा। प्रदेश में अच्छा खेल ढांचा खड़ा कर खेल पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है…

खेलों के स्तर को उत्कृष्टता तक ले जाना है तो राज्य में खिलाडि़यों के लिए वजीफे तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते गए पदकों की इनामी राशि में सम्मानजनक बढ़ोतरी करनी होगी। पड़ोसी राज्य हरियाणा आज देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक, एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों में सबसे अधिक पदक दे रहा है। उसके पीछे जहां हरियाणा के लोगों की अच्छी कद-काठी है, इसके अलावा वहां मिलने वाली इनामी राशि भी बहुत आकर्षक है। हरियाणा सरकार ओलंपिक खेलों के स्वर्ण पदक विजेता को जहां छह करोड़ रुपए की इनामी राशि देती है, वहीं पर हिमाचल में यह राशि अभी पचास लाख ही है। एशियाई खेलों के पदक विजेताओं में स्वर्ण पदक जीतने वाले को हरियाणा में तीन करोड़ रुपए का नकद इनाम मिलता है। हिमाचल में यह राशि अभी बीस लाख ही है। इसी तरह राष्ट्रीय खेलों के पदक विजेता खिलाडि़यों को स्वर्ण पदक जीतने पर पांच लाख रुपए इनाम के रूप में मिलते हैं। हिमाचल में यह राशि अभी चालीस हजार रुपए ही है। कनिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं तथा अखिल भारतीय अंतर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं के पदक विजेताओं को तो नाममात्र की इनामी राशि मिलती है।

होना तो यह चाहिए कि कनिष्ठ व स्कूली राष्ट्रीय खेलों में पदक विजेताओं को क्रमशः स्वर्ण के लिए एक लाख, रजत के लिए 80 हजार रुपए तथा कांस्य पदक जीतने वाले को 60 हजार रुपए का नकद इनाम दिया जाए। इसी तरह अंतर विश्वविद्यालयों की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने पर दो लाख, रजत के लिए डेढ़ लाख तथा कांस्य पदक जीतने वाले को एक लाख रुपए का नकद इनाम होना चाहिए, ताकि वह खिलाड़ी अगले वर्ष अपने कठिन प्रशिक्षण के लिए खुराक का प्रबंध कर सके। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में एक खिलाड़ी पर एक महीने में एक लाख रुपए सरकार खर्च करती है, तभी वह लगातार कई वर्षों तक प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक दिलाने में सक्षम होता है। हिमाचल सरकार को चाहिए कि इस वर्ष राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों के पदकों की इनामी राशि के लिए बजट में प्रबंध किया जाए, साथ ही राज्य स्तर पर पदक जीतने वाले कनिष्ठ खिलाडि़यों को वजीफे का प्रबंध इस बजट में हो।

हिमाचल प्रदेश में खेल संघों को राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता करने के लिए जहां कैटेगरी के अनुसार पचास हजार से लेकर 75 हजार रुपए तक का सालाना अनुदान मिलता है, वहीं पर जिला स्तर पर यह राशि दस हजार रुपए तक ही है। इस राशि में भी कम से कम तीन गुना वृद्धि होनी चाहिए, ताकि सलीके से खेल प्रतियोगिताएं करवाई जा सकें। खंड स्तर पर भी यह राशि 50 हजार रुपए तक होनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक प्रतिभाओं तक पहुंचा जा सके। खंड स्तर पर यदि अधिक से अधिक किशोर खिलाडि़यों की भागीदारी होगी तो अच्छे प्रतिभावान खिलाड़ी मिल सकते हैं, जो आगे चलकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल का नाम रोशन कर सकते हैं। स्कूली स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं को मिलने वाली राशि में बढ़ोतरी होनी चाहिए। आठवीं से आगे बारहवीं तक के विद्यालयों में खेल छात्रों से मिले खेल शुल्क से करवाए जाते हैं। इस स्तर पर सरकार कोई भी धन नहीं देती है। अच्छा होगा इस स्तर पर भी धन का प्रावधान इस बजट में हो। महाविद्यालय स्तर पर भी खेल विद्यार्थियों से मिले खेल शुल्क से ही चलते हैं। विश्वविद्यालय खेलों के लिए इस बजट में धन का प्रावधान होना चाहिए, ताकि अच्छी खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हो सके। राज्य में पंजाब व गुजरात की तरह राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाडि़यों के लिए लगातार प्रशिक्षण सुविधा के लिए राज्य खेल संस्थान की व्यवस्था हो। इस सबके लिए भी बजट में प्रावधान होना चाहिए। हिमाचल में अगर खेलों को सम्मानजनक स्तर तक ऊपर ले जाना है, तो हमें हरियाणा की तरह इनामी राशि और पंजाब की तरह खेल संस्थान का प्रबंधन हेतु बजट का बंदोबस्त करना होगा। हिमाचल की जलवायु यूरोप तथा अमरीका की तरह खेल प्रशिक्षण के लिए अनुकूल है।

इसके अलावा यहां प्रतिभाओं का भी कोई अकाल नहीं है। अतीत में सुविधाओं के अभाव में भी तो कई खिलाड़ी प्रदेश को खेल क्षेत्र में सम्मान दिलाते रहे हैं। आज भी प्रदेश में ऐसी अनेक प्रतिभाएं खेलों के क्षेत्र में प्रदेश के नाम को चमकाने को बेताब बैठी हैं। यदि प्रदेश सरकार अपनी झोली में से चंद सिक्के इन प्रतिभाओं के नाम कर दे, तो इससे खेलों की दशा व दिशा बदल सकती है। प्रदेश में अच्छा खेल ढांचा खड़ा कर खेल पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है। इसलिए खेल ढांचे में बढ़ोतरी के लिए भी अलग से इस वर्ष बजट में धनराशि का प्रबंध करना होगा।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय, ई-मेल आईडी तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

-संपादक


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App