तीस करोड़ से ही बनाओ आदर्श स्कूल

By: Mar 24th, 2017 12:01 am

शिमला — स्कूलों को आदर्श बनाने की योजना को मंजूरी तो मिल गई, लेकिन इस योजना को अतिरिक्त बजट मुहैया कराने के लिए वित्त विभाग ने मना कर दिया है। अब महज 30 करोड़ के बजट में 136 स्कूलों को आदर्श बनाना होगा। ऐसे में आदर्श स्कूलों का सपना पूरा होने के बाद भी अधूरा ही रहेगा, क्योंकि बजट के अभाव में स्कूलों में आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराना विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। सूत्रों का कहना है कि विभाग ने आदर्श स्कूल योजना के लिए अतिरिक्त करीब 40 करोड़ के बजट की मांग की थी, लेकिन वित्त विभाग ने पहले से मंजूर राशि के अलावा अतिरिक्त बजट देने को मना कर दिया है। हालांकि स्कूलों की अंतिम लिस्ट तैयार करने को लेकर अभी भी कशमकश जारी है। पहले एक बार यह सूची तैयार की जा चुकी है। यहां तक कि कैबिनेट की मंजूरी लेने की भी तैयारियां कर ली गई थीं, लेकिन बाद में इस मामले को कैबिनेट में लगाया ही नहीं गया। सूत्रों का कहना है कि जो सूची तैयार की गई थी, उसमें संबंधित क्षेत्रों के नेताओं के विरोध के चलते इसे अभी तक जारी ही नहीं किया गया। जनवरी में हुई कैबिनेट में 68 विधानसभा क्षेत्रों में 136 स्कूलों को आदर्श बनाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी ली जानी थी, लेकिन इस सूची को मंजूरी नहीं मिल पाई। केवल यह ही तय हो पाया कि स्कूलों को आदर्श बनाने के लिए  दो सालों के भीतर हर आदर्श स्कूल पर 42.5 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम, लाइबे्ररी, कम्प्यूटर लैब और खेल गतिविधियों को सुदृढ़ करने पर यह राशि खर्च की जाएगी। इस योजना के साथ ही स्कूलों की सूची भी विभाग ने तैयार कर सरकार को भेजी थी। प्रदेश में आदर्श स्कूलों की जो सूची विभाग ने सरकार को भेजी थी, उस पर कैबिनेट ने मंजूरी नहीं दी थी। विभाग ने इस बारे में सरकार को विस्तृत प्रस्ताव भेजा था, जिस पर अंतिम निर्णय सरकार को लेना था। आदर्श विद्यालय बनाने के लिए प्रदेश के उन वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों का चयन किया गया है, जिनमें छात्रों की संख्या 500 से अधिक है। मुख्यमंत्री की घोषणा के  मुताबिक हर विधानसभा क्षेत्र के दो स्कूलों को आदर्श विद्यालय बनाया जाना था।


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