बदले की राजनीति

By: Mar 22nd, 2017 12:01 am

( सूबेदार मेजर (सेवानिवृत्त) केसी शर्मा, गगल, कांगड़ा )

चुनावी परिणाम जो भी हों, सत्ता पर कोई भी बैठे, लेकिन इतनी कठोर क्यों है राजनीति? संसद हो या विधानसभा, उसमें सभी पार्टियों का प्रतिनिधित्व रहता है। जन कल्याण के लिए सदन में मैत्री भाव तो रहना चाहिए, तभी सहमति बनने में आसानी रहेगी। इससे जरूरी विधेयक पारित करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। इसके विपरीत आज राजनीति नफरत और बदले की भावना से हो रही है, जिसमें किसी का हित नहीं है।

 


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