अपने ही पैसे को लगाने पड़े कई चक्कर

By: Apr 17th, 2017 12:05 am

निरमंड – एक ओर जहां सरकार डाक विभाग को डाक बैंक के रूप में विकसित करने की ओर अग्रसर है, वहीं दूसरी ओर डाक विभाग के कुछ कर्मचारी लोगों को विभाग से जोड़ने की उपेक्षा तोड़ने में लगे हैं। इसका ताजा उदाहरण यहां देखने को मिला। निरमंड के दूरदराज क्षेत्र जाओं निवासी दीप राम शर्मा ने बताया कि उन्होंने पांच वर्षों पूर्व अरसू उपडाकघर के अंतर्गत शाखा डाकघर जाओं में अपने दो  बच्चों ललित व नीरज के नाम पांच-पांच सौ रुपए के दो पांच वर्षीय आरडीएस खाते (खाता संख्या 24166 व 24167) खुलवा रखे थे, जो इसी वर्ष दो फरवरी को मैच्योर हो गए थे, परंतु इसकी मैच्योरिटी राशि प्राप्त करने के लिए विभागीय कर्मचारियों ने उनकी भारी-भरकम कसरत करवा डाली। अपने पैसे प्राप्त करने हेतु बार-बार अरसू उपडाकघर के चक्कर लगाने पर भी बजाए पैसे देने के उन्हें नित नए-नए बहाने बनाकर  टरकाया जाता रहा, हद तो तब हो गई जब 36931.36931 रुपयों की दोनों उक्त राशियां क्रमशः 27 मार्च और एक अप्रैल को उनकी सेविंग पास बुक में बाकायदा डाकघर की मोहर सहित जमा हुई दर्शाई गई, परंतु जब वे 12 अप्रैल को निकासी हेतु डाक घर पहुंचे तो उस समय उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, जब उन्हें बताया गया कि उनके खाते में 73962 रुपए के स्थान पर मात्र 100 रुपये ही जमां हैं। आखिर थक हार कर उन्होंने ये मामला डाक अधीक्षक रामपुर सुरजीत सिंह के संज्ञान में लाया, जिन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए अरसू डाकघर के डाक पाल को तलब कर दिप राम शर्मा की खून-पसीने की बचत को दो माह तेरह दिन के उपरांत उनके खाते में डलवाया। दिप राम ने मांग की है कि डाक विभाग के उच्चाधिकारी  उन्हें अढ़ाई माह के ब्याज समेत उन्हें हुई परेशानी का हर्जाना भी उन्हें शीघ्र प्रदान करें, अन्यथा उन्हें इसके लिए उपभोगता अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। डाक अधीक्षक रामपुर सुरजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच के लिए निरीक्षक की ड्यूटी लगवाई है तथा इस मामले में दोषी किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण के कारण उपभोगता को हुई परेशानी के लिए वे स्वयं भी शर्मिंदा हैं।


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