आयुर्वेद में योग का योगदान

By: Apr 9th, 2017 12:01 am

शिमला में 15 चिकित्सा अधिकारियों ने साझा किए विचार

 शिमला— क्षेत्रीय आयुर्वेद चिकित्सालय शिमला में 12 दिवसीय योग प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शनिवार को हुआ। इस मौके पर निदेशक आयुर्वेद डा. राजकृष्ण परुथी विशेष तौर पर उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम के दौरान प्रदेश भर से चुनिंदा 15 आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों ने आयुर्वेद को लेकर अपने विचार रखे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभारी व विशेष कार्य अधिकारी डा. दिनेश कुमार ने बताया कि इस तरह का आयोजन पहली बार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रथम सत्र से लेकर अंतिम सत्र तक योग-प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए मुख्य रूप से फैकल्टी सदस्य के रूप में डा. अनुराग विजयवर्गीय ने योग से तनाव मुक्ति एवं बिना औषधि प्रयोग किए योग का महत्त्व, डा. प्रवीण शर्मा ने योग द्वारा स्पोडीलाइटिस विषय, डा. संदीपा द्वारा योगिक षट्कर्म में धौति विषय पर, योगाचार्य विनोद शर्मा द्वारा अनेक रोगों की औषधि नाम जप व योग द्वारा आरोग्य, योगाचार्य भूपेंद्र देव ने अनिद्रा व हाइपरटेंशन पर योग की भूमिका, डा. दुश्यंत ने षट्कर्मों का शरीर की विविध क्रियाओं पर होने वाला प्रभाव व संधिवात रोग में योग का महत्त्व, डा. डिंपल द्वारा कलर थैरेपी विषय, डा. अमिता धीमान द्वारा एरोमा थैरेपी, डा. ज्योति ने किशोर अवस्था के लिए योग, डा. नितिन कश्यप ने नाड़ी और प्रकृति विषय, डा. अनिता गौतम ने सूर्य नमस्कार का विभिन्न बीमारियों में महत्त्व, डा. अश्वीन शर्मा ने विविध रोगों की चिकित्सा में योग, डा. रीटा भल्ला ने योगासनों द्वारा मोटापा व डायबिटीज में सुधार, डा. सुवर्चा चौहान ने प्राणायाम का वैज्ञानिक दृष्टिकोण व मस्तिष्क संबंधी विकारों में उपयोग पर विचार रखे।  कार्यक्रम में जिला आयुर्वेद अधिकारी डा. हरीश गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक डा. कविता शर्मा, डा. रविंद्र धीमान, डा. शैली बंसल, डा. केडी. शर्मा, डा. प्रदीप शर्मा, डा. शैली बंसल, डा. सुंदर शर्मा उपस्थित थे।


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