गिरि गड़बड़झाले की दस दिन में दें रिपोर्ट
आईपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स ने दिए घटिया पाइपें लगाने पर विभागीय जांच के आदेश
शिमला – शिमला के लिए पानी की आपूर्ति करने वाली गिरि पेयजल योजना में घटिया पाइपें लगाने के मामले की विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। आईपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स ने अधिकारियों से दस दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है। विजिलेंस मामले की पहले ही जांच कर रही है। विजिलेंस की जांच के बाद अब गिरि परियोजना की विभागीय जांच होगी। मंत्री विद्या स्टोक्स ने अधिकारियों को परियोजना में हुई अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए हैं। बताया जा रहा है कि मंत्री ने अधिकारियों से दस दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की है। अधिकारियों से कहा है कि वे लगाई गई पाइपों की जांच करें और यह देखे कि टेंडर में भरी स्पेसिफिकेशन के मुताबिक ये पाइपें लगी हैं या नहीं। यह भी कहा गया है कि परियोजना में हुई अनियमितता के लिए अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की जाए। इस परियोजना में न केवल कम स्पेसिफिकेशन की पाइपें बिछाई गईं, बल्कि पाइपों की मरम्मत पर बार-बार राशि खर्च कर करोड़ों फूंके गए। गिरि पेयजल परियोजना में गड़बड़झाला तब सामने आया, जब इसका संचालन शिमला नगर निगम के हाथ आया। बार-बार लीकेज होने पर निगम के मेयर-डिप्टी मेयर व अधिकारी मौके पर पहुंचे तो हकीकत मालूम हुई। आरंभिक जांच में नगर निगम ने पाया कि इस परियोजना में टेंडर की शर्तों का ही पालन ही नहीं किया गया। परियोजना में लगने वाली पाइपों की स्पेसिफिकेशन कुछ और थी और कम स्पेसिफिकेशन की लगा दी। यही वजह है कि परियोजना का 2008 में उद्घाटन होने के दिन से ही इस परियोजना में लीकेज आ गई थी। इससे शिमला शहर को पानी की सुचारू सप्लाई भी नहीं हो पाई। परियोजना की कुल क्षमता 20 एमएलडी थी, लेकिन लीकेज होने से मात्र आठ से दस एमएलडी पानी शहरवासियों को मिलता रहा। नगर निगम की सरकार से की गई शिकायत पर विजिलेंस ने भी इसकी जांच शुरू की है। परियोजना में कम स्पेसिफिकेशन की पाइपों की जांच की जा रही है। विजिलेंस ने इस बारे में कुछ दिन पहले रिकार्ड लिया है। अब सरकार ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है।
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