नौकरी के नजराने से प्रतिभा का सम्मान

By: Apr 17th, 2017 12:05 am

भूपिंदर सिंहभूपिंदर सिंह

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

बर्फ के प्रदेश की संतानें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरंगे को सबसे ऊपर उठाती हैं, तो हर प्रदेशवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। अजय ठाकुर को बधाई तथा सरकार से अपेक्षा रहेगी कि अन्य पदक विजेताओं को भी जल्द उनका सम्मानजनक हक मिले…

30 मार्च को हुई हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता तथा देश के स्टार कबड्डी खिलाड़ी अजय ठाकुर के लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस में डीएसपी के पद पर नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है। पहली बार हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के पद पर राज्य में यह नियुक्ति होने जा रही है। सबसे पहले 1984 में राष्ट्रीय एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतने पर सुमन रावत को राज्य युवा सेवाएं एवं खेल विभाग में जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी बनाया था, उसके बाद इसी विभाग में चमन धौलटा तथा बहुत देर बाद ओलंपियन सगलान दोर्जे को संयोजक युवा सेवाएं तथा स्वर्गीय कमलेश कुमारी को कनिष्ठ एथलेटिक्स प्रशिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था। हिमाचल पुलिस में सहायक व उपनिरीक्षक के पद पर मुक्केबाज भगत तथा विरेंद्र आदि उत्कृष्ट खिलाडि़यों की नियुक्ति होती रही है, मगर यह सब नियुक्तियां मंत्रिमंडल के फैसले के बाद ही हो पाती थीं तथा खेल आरक्षण केवल एक प्रतिशत ही था। 1998 में धूमल सरकार बनने पर राज्य में उत्कृष्ट खिलाडि़यों के लिए तृतीय श्रेणी तक के पदोें में तीन प्रतिशत आरक्षण बढ़ाया गया। रोस्टर प्रणाली के अंतर्गत आने वाले इस खेल आरक्षण में हर 33वां, 66वां व 99वां पद उत्कृष्ट खिलाड़ी के लिए रखा गया है।

इस आरक्षण के अंतर्गत सैकड़ों  खिलाडि़यों को राज्य में नौकरी मिल चुकी है। प्रथम व द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पदों पर भी भर्ती की व्यवस्था है, मगर यहां पर खिलाड़ी को कम से कम प्रथम, द्वितीय व तृतीय कैटेगरी में होना चाहिए तथा उसके साथ मंत्रिमंडल का फैसला भी जरूरी रखा गया है। इसमें एक शर्त यह भी है कि तीन प्रतिशत पदों तक ही यह खेल आरक्षण मिल सकता है। कैटेगरी एक में ओलंपिक एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता आएंगे। कैटेगरी दो में विश्व एशियाई व राष्ट्रमंडल प्रतियोगिताओं के पदक विजेता तथा ओलंपिक, एशियाई तथा राष्ट्रमंडल खेलों के प्रतिभागी शामिल होंगे। कैटेगरी तीन में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के पदक विजेता होंगे। कैटेगरी चार में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय के पदक विजेता, कनिष्ठ राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के पदक विजेता, कनिष्ठ राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं का पदक विजेता, राष्ट्रीय स्कूली खेल प्रतियोगिताओं के पदक विजेताओं के साथ-साथ पायका खेलों के राष्ट्रीय पदक विजेता भी तृतीय श्रेणी की नौकरियों में खेल आरक्षण के हकदार हैं। वरिष्ठ राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में तीन बार या इससे अधिक राज्य का प्रतिनिधित्व किए हुए खिलाड़ी भी कैटेगरी चार में आते हैं। धूमल सरकार के समय बनी खेल आरक्षण नीति में इस तरह की व्यवस्था की गई है। संजो देवी, नूतन देवी, शिव चौधरी आदि कई उत्कृष्ट खिलाड़ी तृतीय श्रेणी की नौकरी में नियुक्त होकर आज काफी आगे बढ़ गए हैं। 2014 एशियाई खेलों में पूजा ठाकुर तथा कविता ठाकुर ने भी महिला कबड्डी में देश के लिए स्वर्ण पदक जीता था। पूजा ठाकुर को कराधान निरीक्षक के पद पर नियुक्त किया गया है। राष्ट्र व राज्य को एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक दिलाने के लिए इस खिलाड़ी को भी प्रथम श्रेणी के पद पर पदोन्नत कर देना चाहिए तथा दूसरी एशियाई स्वर्ण पदक विजेता कविता ठाकुर को भी प्रथम श्रेणी की नौकरी देकर उसके साथ भी न्याय करना चाहिए। हिमाचल प्रदेश के एक और खिलाड़ी विकास ठाकुर ने 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों रजत पदक 85 किलोग्राम भारोत्तोलन में जीता।

2012 लंदन ओलंपिक में विजय कुमार ने शूटिंग में रजत पदक जीता। वह भी जल्द ही सेना से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इन दोनों खिलाडि़यों को भी राज्य में प्रथम श्रेणी की नौकरी देकर खेलों को प्रोत्साहित करना चाहिए। प्रदेश में ओलंपिक एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाले कितने खिलाड़ी होते हैं, कभी-कभी तो वर्षों तक दूर-दूर तक कोई भी नजर नहीं आता है। इसलिए पड़ोसी राज्य की तरह विश्व की उत्कृष्ट खेल प्रतियोगिताओं में पदक  जीतने वालों को प्रथम श्रेणी की नौकरी देनी चाहिए। अजय ठाकुर को डीएसपी के पद पर नौकरी देकर हिमाचल सरकार ने बहुत अच्छा कदम उठाया है। निस्संदेह प्रदेश सरकार के इस फैसले से हिमाचल के कई युवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा और वे भी खेलों के क्षेत्र में देश व प्रदेश की सेवा के लिए आगे आएंगे। मुमकिन है कि थोड़े वक्त में ही इसके सकारात्मक परिणाम दिखने भी लगें। यह फैसला हिमाचल की खेलों में मील का पत्थर साबित होगा। वर्षों पहले ओलंपियन दीपक ठाकुर के अर्जुन अवार्ड मिलने के समय उसकी पैरवी पंजाब कर रहा था, वह किसी भी खेल प्रेमी को अच्छा नहीं लगा था। इस स्टार खिलाड़ी को भी हिमाचल में सम्मानजनक प्रथम श्रेणी की नौकरी देनी चाहिए। बर्फ के प्रदेश की संतानें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरंगे को सबसे ऊपर उठाती हैं, तो हर प्रदेशवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। अजय ठाकुर को बधाई तथा सरकार से अपेक्षा रहेगी कि अन्य पदक विजेताओं को भी जल्द उनका अपेक्षित सम्मानजनक हक मिले।

ई-मेल : penaltycorner007@rediffmail.com


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