पौधे सोंखेंगे टायलट की गंदगी

By: Apr 19th, 2017 12:01 am

हिमाचल में सीवरेज को नई टेक्नोलाजी, धर्मशाला से पहल

धर्मशाला— हिमाचल प्रदेश में नई सीवरेज टेक्नोलॉजी लाई जाएगी। कंस्टटिव बैटलैंड टेक्नोलॉजी के तहत बोेटेनिकल पौधे प्रदूषण को समाप्त कर फूलों की महक छोड़ेंगे। यह ऐसे पौधे हैं, जो प्रदूषण को सोंखते हैं, लेकिन जिस स्थान पर लगाए जाएंगे, इसे पार्क की तरह सुंदर और लाल-पीले फूलों से भव्य बना देते हैं। प्राकृतिक टेक्नोलॉजी  को कोई भी संस्थान, बस्ती या घर जहां सीवरेज लाइन आसानी से नहीं पहुंच पाती ,वहां प्रयोग में लाया जा सकता है। इसके रखरखाव के लिए किसी एक्सपर्ट की भी आवश्यकता नहीं रहती है, न ही अधिक खर्च करना पड़ता है। यूरोपियन यूनियन देशों व भारत के जयपुर में सफलता के बाद इसे हिमाचल में लंबे शोध के बाद लागू करने की तैयारी है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसके लिए धर्मशाला को चुना गया है। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग सीवरेज ट्रीटमेंट के लिए हिमाचल में नई तकनीक पर काम कर रहा है। कंस्टक्टिव बैटलैंड टेक्नोलॉजी फार सीवरेज ट्रीटमेंट के तहत बोटेनिकल प्लांट कैना इंडिका सहित अन्य वरायटी के फूलदार पौधे सीवरेज प्रदूषण को समाप्त करेंगे। इसके लिए किसी तरह की बिजली या अन्य उपकरणों की भी आवश्यकता नहीं होगी। मात्र एक नाली से सीवरेज को ले जाकर उसकी ऊपरी सतह पर ये पौधे लगाए जाएंगे। ये पौधे तीन चार माह में  तैयार हो जाते हैं और अपनी जड़ों से प्रूदषण को सोंखने शुरू कर देते हैं। इससे खड्डों सहित निचले वाटर सोर्सिस में सुधार होगा। अपनी तरह के अलग इन बोटेनिकल पौधों में पैथोजन बैक्टीरिया को समाप्त करने भी शक्ति होती है। इसके लिए कुछ भू-भाग की भले ही आवश्यकता होती है, लेकिन जहां ये पौधे लगाए जाते हैं, उस स्थान को पार्क के रूप में भी प्रयोग में लाया जा सकता है। फूलदार पौधों के लिए मैदानी एरिया की ही आवश्यकता नहीं रहती ,इन्हें टेडे़-मेड़े व पहाड़ीदार क्षेत्र में लगाया जा सकता है। उधर सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के सहायक अभियंता एवं इस नई टेक्नोलॉजी पर लंबे समय से शोध कर रहे संजय आचार्य का कहना है कि यह टेक्नोलॉजी सस्ती एवं टिकाऊ है। इससे बैक्टीरिया को रिमव करने के  साथ-साथ खड्डों आदि के पानी को भी गंदगी से बचाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि हिमाचल में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जल्द इस पर काम शुरू होगा।


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