मंडी आईटीआई में जंगली पेड़-पौधों पर शोध

By: Apr 12th, 2017 12:01 am

हर्बल गार्डन में संरक्षित होंगी जड़ी-बूटियां, संस्थान का नया प्रयास

मंडी —  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी में अब हिमाचली जंगली पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों पर भी शोध होगा। आईआईटी मंडी ने हिमाचल प्रदेश में पाए जाने वाले जंगली फलों और पेड़-पौधों का संरक्षण करने के साथ ही इन पर शोध का काम भी शुरू कर दिया है। हिमालयन रेंज में स्थापित देश के पहले आईआईटी मंडी ने यह नया प्रयास व पहल की है। आईआईटी मंडी के कमांद स्थित कैंपस में बोेटेनिकल गार्डन की स्थापना की गई है। यह पहली बार है कि जब किसी इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी संस्थान में इस तरह का हर्बल गार्डन स्थापित किया गया है, जो कि हर्बल गार्डन की हर परिपाटी पर खरा उतरता है। प्रदेश के मशहूर बागबानी विशेषज्ञ एवं जंगली फलों पर कार्य करने वाले वैज्ञानिक डा. चिरंजीत परमार ने आईआईटी मंडी के सहयोग से कमांद परिसर में बोटेनिकल गार्डन का एक ऐसा ब्लॉक स्थापित किया है, जिसमें प्रदेश में पाए जाने वाले ऐसे खास पेड़-पौधों का संरक्षण किया जा रहा है, जिनकी खेती नहीं की जाती और जो केवल जंगलों में ही होते हैं। डा. परमार का कहना है कि जब इनका मौसम होता है तो गांव के लोग इन्हें जंगल से इकट्ठा करके शहर में बेचते हैं। लोग सदियों से इन्हें चाव से खाते आ रहे हैं, जिसमें प्रदेश के जंगलों में पाए जाने वाले फल, कंदमूल और सब्जियों में  तरड़ी, लिंगड़, लिंगडू, दरेघल, फाफड़ा अन्य प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि अगले साल तक यह ब्लॉक  पूरी तरह सेतैयार हो जाएगा और दर्शक इन पेड़ों को देख सकेंगे। डा. परमार ने बताया कि इन पेड़-पौधों से निकलने वाले फल-फूल, सब्जियों का सेवन तो कइयों ने किया होगा, लेकिन इनके पेड़ व पौधे नाममात्र लोगों ने ही देखे हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर गोनसाल्वेस वैसे तो पेशे से कम्प्यूटर साइंटिस्ट हैं, पर उनकी स्थानीय संस्कृति, जानवरों और पेड़-पौधों में बहुत दिलचस्पी है। इसके चलते यह हर्बल गार्डन स्थापित हो सका है।


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