सल्याणा मेला…पंजाबी कूट ले गए चांदी
पंचरुखी — कांगड़ा घाटी में इन दिनों ग्रामीण मेलों का दौर है। हर गांव का अपना मेला है। ऐसा कोई दरिया नहीें,जिसके किनारे मेला न सज रहा हो। और तो और बावड़ी-मंदिरों के अपने उत्सव हैं,लेकिन इन मेलों से हम सामाजिक और आर्थिक रूप से कितना मजबूत हो रहे हैं,इसका जवाब अब खोजने का वक्त आ गया है। मोटे तौर पर पड़ताल करें,तो साफ नजर आता है कि इन मेलों में बाहरी खासकर पंजाबी खूब चांदी कूट रहे हैं। झूलों-स्टालों से लेकर दंगल मुकाबलों तक पंजाबियों का दबदबा है। हाल ही में हुए जिला स्तरीय सल्याणा मेले पर नजर डालें,तो यहां हर फील्ड में पंजाबी चांदी कूटते नजर आए। मसलन तीन दिन के भीतर करीब चार लाख रुपए के इनाम बाहरी पहलवान जीतकर ले गए। आलम यह कि टॉप की चार मालियों में तीन पंजाब और एक जम्मू के खाते में रही। हिमाचल के इक्का-दुक्का पहलवान ही अपनी छाप छोड़ पाए। इसी तरह झूलों और मनियारी के कारोबार का नजारा रहा,जहां बाहरी कारोबारी छाए रहे। बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि मेलों से होने वाली कमाई मेला स्थलों और लोक भलाई के कार्यों पर भी खर्च होनी चाहिए,नहीं तो ऐसे उत्सवों के क्या मायने रह जाएंगे।
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