उद्योगों में पेटकोक पर एनजीटी सख्त

By: May 28th, 2017 12:02 am

बिना अनुमति पेट्रोलियम कोक इस्तेमाल कर रही औद्योगिक इकाइयों पर कसेगा शिकंजा, बंद करने के निर्देश

 बीबीएन— नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उन औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के आदेश दिए हैं, जो बिना अनुमति पेट्रोलियम कोक (पेटकोक) का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। इसके अलावा एनजीटी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और सभी राज्यों को भी निर्देश दिए हैं कि वे दो माह के भीतर पेटकोक को पर्यावरण कानूनों के मुताबिक एक अनुमति प्राप्त ईंधन की श्रेणी में रखने का फैसला लें। फिलवक्त एनजीटी के इन निर्देशों से उद्योगों में हड़कंप मच गया है। हालांकि एनजीटी ने उन इकाइयों को नीति तैयार होने तक दो महीने की छूट प्रदान की है, जिनके औद्योगिक परिचालन में पेटकोक का उपयोग जरूरी है। एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सभी राज्य स्तरीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक इन निर्देशों को पहुंचाने और एक माह के भीतर इस पर अमल सुनिश्चित करवाने की हिदायत दी है। जानकारी के मुताबिक हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बिना अनुमति पेटकोक का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने वाले उद्योगों को बंद करने के आदेश दिए हैं, पेटकोक में क्लोरोफिक की अधिक मात्रा होती है, जिसका उपयोग विभिन्न देशों में बिजली उत्पादन में किया जाता है। देश के अन्य राज्यों सहित हिमाचल के भी कई उद्योगों में पेटकोक का इस्तेमाल उद्योगपति ब्यालर चलाने के लिए ईंधन के तौर पर करते हैं, हालांकि ऐसे उद्योगों की तादाद नाममात्र है, लेकिन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी के आदेशों के अनुसार इस संबंध में कदमताल शुरू कर दी है। बीबीएन सहित प्रदेश भर में अनुमानित 500 के करीब उद्योगों में ब्यालर चल रहे हैं, जिनमें ईंधन के तौर पर एचएसडी (हाई स्पीड डीजल), फर्नेंस ऑयल का ही ज्यादातर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कई उद्योग पेट्रोलियम कोक (पेटकोक) का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। दिक्कत उन उद्योगों के लिए है, जिन्होंने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ब्यालर में ईंधन के तौर पर पेटकोक  के इस्तेमाल के लिए अनुमति नहीं ली है, उनके लिए औद्योगिक इकाई को चला पाना संभव नहीं होगा। इसके अलावा जिन उद्योगों के पास अनुमति है, उन्हें दो माह की छूट प्रदान की गई है,  ऐसे उद्योगों को इस अवधि में अपने यहां अल्कली स्क्रबर लगाने होंगे। जिन उद्योगों में पेटकोक का इस्तेमाल हो रहा है, उनमें सीमेंट, पेपर मिल, डाइंग यूनिट प्रमुख तौर पर शामिल हैं। एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को पेटकोक के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों के बाबत विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपने को भी कहा है।

परमिशन वालों को दो महीने में नियंत्रण उपकरण लगाने जरूरी

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बद्दी स्थित अधिशाषी आियंता बृजभूषण ने बताया कि एनजीटी ने बिना अनुमति पेट्रोलियम कोक (पेटकोक) का ईंधन के तौर पर इस्तेमाल न करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे उद्योगों की शिनाख्त की जा रही है। इसके अलावा जिन उद्योगों के पास पेटकोक के इस्तेमाल की अनुमति है, उन्हें दो माह के भीतर जरूरी प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगवाने होंगे।

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