एक डाक्टर के सहारे टीहरा पीएचसी

By: May 8th, 2017 12:10 am

newsटीहरा —  टीहरा की जनता करीब 25 सालों से चिकित्स्सा सुविधा के अभाव में कराह रही है। हैरानी का बात है कि क्षेत्र की छह पंचयातों की 25 हजार आबादी की सेहत एक डाक्टर के हवाले है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। 1991-92 में सिविल डिस्पेंसरी टीहरा को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा तो मिला, लेकिन 25 वर्षों के बाद भी सुविधाओं के नाम पर कोई परिवर्तन नहीं हो पाया है। क्षेत्र की छह पंचायतों की लगभग 25 हजार आबादी के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं शून्य के बराबर ही हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टीहरा में प्रसूति सुविधा केवल फाइलों व घोषणाओं तक ही सीमित है,  जबकि प्रसूति सुविधा के मुताबिक सरकार यहां स्टाफ मुहैया नहीं करवा पाई है। इस सुविधा के न मिलने से महिलाओं को हमीरपुर जाना पड़ रहा है। क्षेत्र के लोग यहां अरसे से 108 एंबुलेंस की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन यह सुविधा भी लोगों को नहीं मिल पाई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टीहरा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की कवायद भी शुरू हुई थी, लेकिन यहां यह मांग भी अनसुनी ही होती गई। इसके बाद स्तरोन्नत हुए केंद्रों में सरकार द्वारा डाक्टरों के दो पद स्वीकृत किए हैं। लेकिन यहां एक ही डाक्टर का पद होने से दिन-रात और आपातकालीन सेवाएं लोगों को नहीं मिल पा रही हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टीहरा में मरीजों की घटती संख्या पर क्षेत्र के लोगों व प्रतिनिधियों ने रोष जताया है। वहीं केंद्र की हालात सुधारने की सरकार व विभाग से मांग की है।

अरसे से कर रहे हैं डाक्टर की मांग

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टीहरा में केवल एक डाक्टर का पद है, कुछ वर्ष तक यहां दूसरे डाक्टर के रूप में आयुर्वेदिक डाक्टर की सेवाएं ली जा रही थीं, लेकिन इन दिनों केवल एक ही डाक्टर तैनात है। लोग यहां कई वर्षों से वरिष्ठ डाक्टर की नियुक्ति की मांग करते आ रहे हैं। केंद्र में फार्मासिस्ट का पद पिछले एक वर्ष से रिक्त चल रहा है। एक स्टाफ नर्स का पद भी नहीं भरा गया है। सफाई कर्मचारी का पद खाली चल रहा है। लिहाजा स्टाफ पूरा न होने के कारण यहां स्वास्थ्य व्यवस्थाएं लड़खड़ाई हुई हैं, जिसके चलते जनता निजी क्लीनिकों में उपचार करवाने को मजबूर है।

खराब हो रहा लैबोरेटरी का सामान

25 वर्ष पूर्व अपग्रेड हुए इस स्वास्थ्य केंद्र व यहां के लोगों ने लैब टेक्नीशियन के दर्शन ही नहीं किए हैं और यहां लैबोरेटरी का साजो सामान भी खराब हो चुका है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में न तो एक्स-रे सुविधा व न लैब टेक्नीशियन की सुविधा मिल पाई है, जिसके चलते लोगों को प्राइवेट लैब में ज्यादा पैसे खर्च कर टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं। वहीं छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी लोगों को हमीरपुर या सरकाघाट अस्पताल की ओर इलाज करवाने जाना पड़ रहा है।

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