किन्नौर में अवैध खनन का कारोबार तेज
रिकांगपिओ — न्यायलाय द्वारा नदी किनारे अवैध खनन पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद भी जिला किन्नौर में कुछ लोग नियमों व कायदे-कानूनों को दत्ता बताकर रोजाना चांदी कूट रहे हैं। हैरानी तो यह है कि इस अवैध कार्य में वे लोग ज्यादा हैं, जो सरकारी कार्य के नाम पर अवैध खनन को बेहताशा अंजाम दे रहे हैं। बताया जाता है कि पिछले समय से रसूकदार व पैसे के बल पर कुछ लोग कड़छम, जंगी, चोलिंग आदि क्षेत्रों में सतलुज नदी के किनारों पर रात के अंधेरे में बड़ी-बड़ी मशीनरियों के माध्यम से अवैध खनन में लगे हुए हैं। वहीं डंपरों के माध्यम से नदी तटों से एक साथ लाखों टन रेत-बजरी निकाल कर अपने कार्य स्थलों पर पहुंचा रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि यदि कोई जरूरतमंद ग्रामीण अपने निजी कार्य के लिए नदी के किनारों से रेत-बजरी निकालता है तो उन लोगों को कानून का हवाला देकर भारी-भरकम जुर्माना वसूला जा रहा है, लेकिन वे लोग साफ बच जाते हैं, जिन्होने अवैध खनन को अपनी कमाई का जरिया बना रखा है। लिहाजा माइनिंग विभाग सहित उन विभागों के अधिकारियों पर संशय उठना लाजिमी है, जिन्हें सरकार द्वारा अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए अधिकृत किया गया है। जानकार तो यहां तक बता रहे हैं कि किन्नौर जिला में राष्ट्रीय उच्च मार्ग सहित परियोजनाओं का निर्माण कार्य के नाम पर कड़छम, जंगी सहित चोलिंग आदि क्षेत्रों में रात के अंधेरे में सतलुज नदी के किनारे बड़ी-बड़ी मशीनरियों के माध्यम से अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। इस अवैध कार्य में नियमों व कानूनों तक को दत्ता बता कर करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित किए गए पुलों के 300 मीटर के दायरे में भी रात के अंधेरे में अवैध खनन किया जा रहा है। न्यायालय द्वारा नदी किनारों सहित पुलांे के 300 मीटर के दायरे में खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है।
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