गांव भी स्मार्ट बनें
(बालम बरवाल)
बड़ा हर्ष हो रहा है कि भारत सरकार ने धर्मशाला को स्मार्ट सिटी घेषित किया है। धर्मशाला के स्थान पर समस्त जिला कंगड़ा को स्मार्ट सिटी घेषित किया होता और करोड़ों का बजट ग्रामीण इलाकों पर खर्च किया जाए, तो शहरों की तरह हमारे गांव भी शहर बन जाएंगे। लोग गांवों को छोड़ कर शहरों में जा रहे हैं। मेरे गांव मझोटी में 50 परिवार थे, जिनमें से 25 परिवार गांव मझोटी को छोड़ कर शहरी क्षेत्र में चले गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नजदीक अच्छे प्राइवेट स्कूल नहीं हैं। सरकारी स्कूल हैं, लेकिन स्टाफ पूरा नहीं है। लोगों की समस्याएं शीघ्र हल नहीं होती हैं। हर गांव में स्कूल खोल दिए हैं, लेकिन अध्यापक नहीं हैं। जिस प्रकार शहरों में अच्छी-अच्छी सुविधाएं हैं। ठीक उसी प्रकार हर पंचायत में अच्छी सुविधाएं बच्चों, महिलाओं, नौ जवानों और बूढ़े लोगों को समय-समय पर मिलती रहें। हर गांव के लिए पक्की सड़क हो, पानी के स्रोत हों और यातायात की सुविधा हो। गांव के लोगों को गांवों में ही रोजगार मिले। मनोरंजन के सभी साधन मिलें। बड़े कार्यालय खुलें, हर गांव में लाइब्रेरी खुले, उद्योग लगें और मनरेगा का पैसा उद्योग- धंधों और खेतीबाड़ी के विकास में खर्च किया जाए, तो गांवों के लोगों का शहरों की ओर हो रहा पलायन थमने लगेगा।
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