पपरोला आयुर्वेद अस्पताल बेहाल

By: May 8th, 2017 12:07 am

बैजनाथ —  प्रदेश में एकमात्र आयुर्वेदिक संस्थान राजीव गांधी राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय पपरोला का अस्पताल कर्मियों की कमी के कारण समस्याओं से जूझ रहा है, जो मूलभूत सुविधाएं इस अस्पताल को मिलनी चाहिए नहीं मिल पा रही हैं। भले ही यहां स्नातकोत्तर महाविद्यालय होने के कारण डाक्टरों की कमी नहीं, मगर जब स्टाफ ही पूरा न हो तो डाक्टर अकेले क्या करेंगे। यही नहीं, विशेषज्ञ डाक्टरों के अतिरिक्त जितने सात स्वीकृत पद हैं, उनमें आयुर्वेदिक चिकित्सक उपलब्ध है, मगर 215 वाले बिस्तरों के अस्पताल के लिए हर दस बेड के पीछे एक वार्ड ब्वायज चाहिए। इस हिसाब से यहां 22 वार्ड ब्वायज चाहिए, मगर एक वार्ड ब्वायज से काम चलाया जा रहा है। अस्पताल में 22 स्टाफ नर्स चाहिए, मगर सात की कमी कई दिनों से चल रही है। इस अस्पताल में हर वक्त एक सौ के करीब मरीज दाखिल रहते हैं, मगर खाना बनाने के लिए एकमात्र कुक है। अगर वह छुट्टी पर चले जाए, तो आफत आ जाती है। मात्र दो चपरासी सारे कार्य को संभाल रहे हैं। प्रतिदिन यहां पर 300 से 400 के बीच मरीज इलाज करवाने आते हैं। यही नहीं, 60 से 70 तक नार्मल डिलीवरी यहां होती हैं, मगर पूर्व की तरह अब सिजेरियन नहीं होती। अस्पताल के एमएस डा. रक्षपाल का कहना है कि यहां ट्यूबवेल लगे हैं, उनसे पानी की व्यवस्था हो जाती है, मगर कभी-कभार बिजली की समस्या आ जाए या ट्यूबवेल की मोटरें खराब हो जाएं, तो समस्या से जूझना पड़ता है, क्योंकि जो सप्लाई विभाग ने आईपीएच विभाग से ले रखी है, उसे काट दिया गया है। ऐसे में हमारा संस्थान मात्र ट्यूबवेल पर ही निर्भर हो चुका है। वैसे अस्पताल में सफाई व्यवस्था की जांच हर वक्त की जाती है। यह अस्पताल गरीब लोगों के लिए इलाज का एकमात्र सहारा है, मगर कर्मियों की कमी है। ब्लड बैंक न होने के कारण व आईपीएच विभाग द्वारा सप्लाई न देने पर समस्याओं से जूझना पड़ता है।

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