शब्द वृत्ति
अद्भुत शल्य प्रहार
धुआं धुआं बंकर हुए, चौकी कर दी खाक,
ऐसे भी अब राख हो, इंशा अल्लाह पाक
एक रुपइया हेग में, अब चौबीस सेकंड
तू इस्लामाबाद में, अब भुगतेगा दंड
वाह वाह क्या बात है, अद्भुत शल्य प्रहार
बदला जमकर ले लिया, पड़ी बीस पर मार
तड़फ रहा है रात-दिन, उठता रोज मरोड़
बिल्ला अति खिसिया गया, नोच लिए सब बाल
सिर भी गंजा कर लिया, है शरीफ बेहाल
हाफिज है विक्षिप्त अब, लगा मानसिक रोग
खान चीखता, काटता, छूटे छप्पन भोग
मलिक, गिलानी तड़पते, भूखे-प्यासे आज
दाना-चारा बंद है, फौजी गढ़ी निगाह
आतंकी घुसपैठ की, चौकी करी तबाह
रोने में है बेइज्जती, छुपकर करता आह
वह जहाज, कागज उड़ा, बच्चों का उसपार
चुहिया आंख दिखा रही, लड़ने को तैयार
हालत पतली है पड़ी, पेचिश का है जोर,
कहीं नहीं कुछ भी हुआ, है शरीफ का शोर।।
डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर
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