शब्द वृत्ति

By: May 27th, 2017 12:01 am

बुद्धिमान गोगोई

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर)

गोगोई को कर रहा,

भारत आज सलाम।

नया शोध तुमने किया,

अद्भुत है यह काम।

हींग लगी न फिटकरी,

चोखा चढ़ गया रंग,

घायल बाजों के हुए सारे सपने भंग।

घायल द्रोही बांध लो,

या फिर उनकी लाश,

कोई पत्थरबाज तब,

क्या फटकेगा पास?

दुश्मन अंदर देश के,

कुछ करते बकवास,

भौंक रहे जो भौंकते,

उनको पड़े न घास,

मानव का अधिकार,

यह वह भी दें सम्मान।

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