शहीद परमजीत सिंह पंचतत्व में विलीन

By: May 3rd, 2017 12:05 am

पूरे राजकीय सम्मान के साथ विदा हुआ तरनतारन का जांबाज, लोगों ने लगाए पाक मुर्दाबाद के नारे

NEWSअमृतसर— जम्मू-कश्मीर के कृष्णा सेक्टर में पाकिस्तान की बर्बरता के शिकार हुए सिख रेजिमेंट के नायब सूबेदार परमजीत सिंह का पार्थिव शरीर मंगलवार को तरनतारन के गांव वेईंपुईं पहुंचा। यहां पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। संस्कार के समय शहीद के सम्मान में गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। संस्कार में आसपास के इलाकों व गांव से काफी लोग इकट्ठे हुए थे। पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों के बीच शहीद का संस्कार किया गया। उनकी चिता को मुखाग्नि उनके 12 वर्षीय बेटे साहिलदीप सिंह ने दी। परमजीत सिंह सहित दो सैनिकों को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिला में अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा के नजदीक पाकिस्तान के सुरक्षाबलों ने घात लगाकर हत्या कर दी गई थी। परमजीत सिंह के पिता ऊधम सिंह, उनकी दो बेटियां, शहीद की पत्नी तथा बेटा मंगलवार को शव के गांव पहुंचने पर बिलख उठे और मांग की कि उन्हें पिता का पूरा शव चाहिए। शहीद का पार्थिव शव पहुंचने पर गांव के लोगों तथा शहीद परमजीत सिंह की पत्नी ने कहा कि उन्हें अपने पति का पूरा शव चाहिए, पूरा शव नहीं मिला तो अंतिम संस्कार नहीं होगा। इससे पहले जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो पूरा गांव उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ा। इन लोगों ने भी मांग की कि परिवार को शहीद का शव दिखाया जाए और इसके बाद ही तय होगा कि अंतिम संस्कर होगा या नहीं। गांव में मौजूद सभी लोग इस बात को लेकर अड़ गए थे कि शव के अंतिम दर्शन किए बिना अंतिम संस्कार नहीं करने दिया जाएगा। हालांकि मौके पर पहुंचे जिला प्रशासन के अधिकारियों के समझाने के बाद परिजन मान गए और फिर शहीद को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। परमजीत के गांव वालों का गुस्सा चरम सीमा पर था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री तथा रक्षामंत्री को चाहिए वे इस मामले में हस्तक्षेप कर कड़े से कड़े कदम उठाएं, नहीं तो आए दिन कोई न कोई परमजीत या प्रेम सागर शहीद होते ही रहेंगे। एसजीपीसी प्रधान कृपाल सिंह बडूंगर ने भी शहीद परमजीत सिंह तथा हैड कांस्टेबल प्रेम सागर की शहीदी पर अफसोस जताया है।

दस मई को था गृह प्रवेश

शहीद परमजीत सिंह के बारे में पूछे जाने पर उसकी पत्नी ने कहा कि वह दस मई को छुट्टी लेकर घर में आने वाले थे, क्योंकि दस मई को उनके नए बन रहे मकान का गृह प्रवेश था, लेकिन इससे पहले ही वह देश के लिए शहीद हो गए। उनकी अंतिम रस्में उसी नए मकान में हुईं, जहां पर उन्होंने दस मई को आकर गृह प्रवेश करना था। उधर, डीसी तरनतारन सरबजीत सिंह ने कहा कि शहीद को सरकार द्वारा पांच लाख की मदद राशि का ऐलान किया गया है तथा परिवार में से एक सदस्य को नौकरी तथा एक प्लाट भी सरकार द्वारा दिया जाएगा। इसके अलावा किसी ने मौके पर ही रेडक्रॉस द्वारा एक लाख की मदद राशि का अलग से देने का ऐलान किया, जो कि शहीद के परिवार को दी जाएगी।

विवाह प्रस्ताव की तलाश कर रहे हैं? निःशुल्क रजिस्टर करें !

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App