सुविधाओं से संभलेगी खेल प्रतिभा

By: May 26th, 2017 12:02 am

भूपिंदर सिंहभूपिंदर सिंह

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

अच्छा प्रशिक्षक, उत्तम खेल सुविधा तथा अच्छा सहायता वाला खेल वातावरण मिलता है तो खेलों में उत्कृष्ट परिणाम जरूर आते हैं।  खिलाडि़यों को अगर प्रोत्साहन और सरकारी प्रश्रय मिले, तो इससे ज्यादा बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं…

उत्कृष्ट प्रतिभा किसके घर जन्म ले, यह विधाता का खेल है। गरीबी और पिछड़ेपन से अपना बचपन एथलेटिक्स की दुनिया में ले जाने के कारण ही सीमा अपने विशेष दौड़ प्रतिभा के कारण भारतीय खेल प्राधिकरण धर्मशाला में चयनित हो जाती है और दो वर्ष के अंतराल में ही वह युवा एशियाई एथलेटिक्स में भारत को तीन हजार मीटर दौड़ में कांस्य पदक दिलाती है। एथलेटिक्स में हिमाचल की तरफ से दौड़ते हुए जहां सुमन रावत 1984 में राष्ट्रीय विजेता बन चुकी थीं, उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने का मौका, 1985 की एशियाई एथलेटिक्स, जो जकार्ता में हुई थी, 3000 मीटर में ही कांस्य पदक जीतकर मिला था। उसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमलेश कुमारी ने सन् 1989 तथा अमन सैणी ने सन् 2003 में भारत का प्रतिनिधित्व किया, मगर पदक प्राप्त करने में नाकाम रहे। इसके बाद लंबा दौर रहा, जब कई हिमाचली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व मामूली सी चूक के कारण नहीं कर पाए। 2004 ओलंपिक के लिए हुए ट्रायल में पुष्पा ठाकुर मामूली अंतर से कांस्य पदक ही ले पाईं। 2007 में संजो देवी जो अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय भाला प्रक्षेपण का कीर्तिमान 51.59 मीटर बनाकर वर्ल्ड यूनिवर्सिटी के लिए क्वालिफाई कर गई थीं, तुरंत पासपोर्ट तैयार न होेने के कारण भारत का प्रतिनिधित्व करने से वंचित हो गई थीं। इसी तरह धर्मशाला खेल छात्रावास की हिना ठाकुर तथा कनिजो 2016 बहरीन में हुई एशियाई क्रॉस कंट्री प्रतियोगिता में किन्हीं कारणों से भाग नहीं ले पाई थीं। सीमा भी इस यूथ एशियाई एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाती, यदि उसके पासपोर्ट को जल्दी बनवाने में ‘दिव्य हिमाचल’ ने सहायता न की होती।  अनिल सोनी जी के प्रयत्नों से ही सीमा का पासपोर्ट जल्दी पहुंच पाया और सीमा जहां भारत का प्रतिनिधित्व करने में कामयाब हुईं, वहीं इस अति प्रतिभावान धाविका ने भारत के लिए पदक भी जीता। पिता का साया बचपन में ही सिर पर से उठ जाने के बाद सीमा ने छठी कक्षा में प्रवेश लेते ही अपने स्कूल के दो सौ मीटर के ट्रैक में अपने शारीरिक शिक्षा अध्यापक के कहे अनुसार दौड़ का हल्का अभ्यास शुरू कर

दिया था। जिला चंबा के सुदूर गांव रेटा में पिता बजीरू राम व माता केसरी देवी के घर जन्मी सीमा देवी अपने छह भाई- बहनों में सबसे छोटी हैं। वर्ष 2015 में जब सीमा ने साई खेल छात्रावास धर्मशाला में प्रवेश लिया, उससे पहले भी वह राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं  में बहुत ही उम्दा प्रदर्शन कर रही थीं, मगर खेल छात्रावास में प्रवेश पाने के बाद प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल के प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीमा ने एक साल के बाद ही 2016 में आयोजित राष्ट्रीय यूथ एथलेटिक्स प्रतियोगिता में दो हजार मीटर की दौड़ को छह मिनट 27 सेकंड में दौड़कर नया राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाकर अपनी प्रतिभा का परिचय भारतीय एथलेटिक्स को दे दिया था। इस वर्ष 2017 में हैदराबाद में आयोजित हुई राष्ट्रीय यूथ एथलेटिक्स प्रतियोगिता में सीमा ने एक बार फिर 3000 मीटर की दौड़ को नौ मिनट 56 सेकंड में दौड़कर नया राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाकर एशियाई यूथ एथलेटिक्स प्रतियोगिता के लिए क्वालिफाई कर लिया। सीमा इस समय धर्मशाला में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (छात्रा) में 12वीं कक्षा की छात्रा हैं। खेल छात्रावास आने के बाद इन दो वर्षों में सीमा ने राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल के लिए नौ पदक जीत लिए हैं। हिमाचल प्रदेश में खेल प्रतिभा की कमी बिलकुल नहीं है। यह बात इस समय विभिन्न खेलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर तक हिमाचली प्रतिभाएं भारत का प्रतिनिधित्व कर सिद्ध कर रही हैं। आज हिमाचल में खेल प्रशिक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्ले फील्ड भी तैयार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने अपने पिछले कार्यकाल में विभिन्न खेलों के लिए विश्व स्तरीय खेल ढांचा खड़ा करवाया है, उसी का परिणाम है आज हिमाचली प्रतिभाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए पदक जीत रही हैं। अच्छा प्रशिक्षक, उत्तम खेल सुविधा तथा अच्छा सहायता वाला खेल वातावरण मिलता है तो खेलों में उत्कृष्ट परिणाम जरूर आते हैं।  खिलाडि़यों को अगर प्रोत्साहन और सरकारी प्रश्रय मिले, तो इससे ज्यादा बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं। प्रतिभा जन्मजात हो सकती है, पर उसे निखारने का जिम्मा खिलाड़ी के साथ-साथ सरकार और प्रशासन का भी है। इसलिए अभी समय है अन्य खेल छात्रावासों में स्तरीय प्रशिक्षक तथा खेल सुविधा का प्रबंध सरकार करे, ताकि अधिक से अधिक युवा सीमा की तरह जीते जी तिरंगे में लिपट कर दुनिया को अपनी श्रेष्ठता दिखा सकें।

ई-मेलः penaltycorner007@rediffmail.com

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