हिमाचल प्रदेश में नहीं बढ़ पा रहा सैलानियों का ठहराव

By: May 9th, 2017 12:15 am

newsशिमला— हिमाचल पर्यटन विभाग द्वारा दिल्ली की एक विख्यात एजेंसी द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कयासों के विपरीत हिमाचल में पर्यटकों का स्टे बढ़ नहीं पा रहा है। देशी पर्यटक बमुश्किल एक दिन, जबकि विदेशियों का औसतन दो दिन का ठहराव है। देशी सैलानी हर दिन औसतन 8230 रुपए खर्च कर रहा है, जबकि विदेशी 17564 रुपए है। खास यह भी कि देश का सैलानी 25.4 फीसदी रहने पर खर्च करता है, 17.3 प्रतिशत खाने पर, 27 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट पर, जबकि 28.5 फीसदी शॉपिंग पर और मात्र 1.4 फीसदी मौज मस्ती के लिए। विदेशी सैलानी 19 फीसदी एकोमोडेशन पर, 10.7 प्रतिशत खाने पर, 50 फीसदी ट्रांसपोर्टेशन पर, 19.4 फीसदी शॉपिंग पर और एक प्रतिशत मौज मस्ती पर।  देश के 80 फीसदी सैलानी छुट्टियां मनाने के लिए हिमाचल आते हैं, विदेशियों में यह दर 97 फीसदी है, जबकि हर दिन आने वाले पर्यटकों की फेहरिस्त में से 48 फीसदी ऐसे हैं, जो धार्मिक स्थलों में शीश नवाकर वापस लौट जाते हैं। हिमाचल सकल राज्य घरेलू उत्पाद में पर्यटन से 7.82 फीसदी हासिल कर रहा है, जबकि इस क्षेत्र से 5.59 फीसदी ही रोजगार मिल पा रहा है। 93 फीसदी पर्यटक सड़क मार्ग द्वारा आते हैं, 10 फीसदी से भी कम सैलानी रेल या हवाई यात्रा द्वारा प्रदेश में पहुंचते हैं।  हिमाचल आने वाले 82 फीसदी देशी टूरिस्ट, जबकि 78 फीसदी विदेशी पर्यटक विवाहित होते हैं, 96.5 फीसदी देशी और 94.4 फीसदी विदेशी पर्यटक ट्रांसपोर्ट सुविधा खुद जुटाते हैं, 55 फीसदी देशी पर्यटक और 59 फीसदी विदेशी पर्यटक साल में एक बार, जबकि अन्य कभी-कभार ही हिमाचल आते हैं। हिमाचल आने वाले ज्यादातर पर्यटक निजी क्षेत्र में कार्यरत रहते हैं, या फिर स्वरोजगार से जुड़े होते हैं।

रोजगार की स्थिति

  1 एकोमोडेशन यूनिट्स में 21328

  2 ट्रेवल एंड टूअर यूनिट्स में 7127

  3 रेस्तरां में 3934

  4 सोविनियर शॉप्स में 266

ऊना सबसे ऊपर

ऊना में पर्यटकों की सबसे ज्यादा आक्यूपेंसी 51 फीसदी आंकी गई। इसके बाद शिमला, बिलासपुर, कांगड़ा, मंडी, चंबा और कुल्लू रहे।

यहां हैं दिक्कतें

हमीरपुर, किन्नौर, लाहुल स्पीति, सिरमौर और सोलन में औसत से भी कम आक्यूपेंसी दर्ज की गई। साल भर हिमाचल के होटलों की औसतन आक्यूपेंसी 39.8 आंकी गई है।

स्थानीय लोगों के व्यवहार के कायल

सर्वेक्षण में सामने आया है कि ज्यादातर पर्यटक स्थलों में यादगार के तौर पर वापस ले जाने के लिए सोविनियर शॉप्स ही नहीं हैं। यहां तक कि इंटरनेट व फर्स्ट ऐड की सुविधा भी मौजूद नहीं थी। स्थानीय लोगों के अच्छे व्यवहार से पर्यटक कायल होकर  लौटते हैं।

यहां से सैलानियों की ज्यादा आमद

हिमाचल में कुल पर्यटकों की आमद में से 22 फीसदी दिल्ली, 18.5 पंजाब, हिमाचल से ही 11.5, हरियाणा से 11, चंडीगढ़ से 6.6, उत्तर प्रदेश से 4.2, महाराष्ट्र से 4.1, पश्चिम बंगाल से 2.1, जबकि विदेशी पर्यटकों में 25.3 फीसदी ब्रिटेन, 7.3 अमरीका, 6.9 इज़रायल, 5 जर्मनी, 2.3 फ्रांस, 1.7 नेपाल, 1.4 सिंगापुर, जबकि 1.2 दक्षिण अफ्रीका से आते हैं।

पर्यटन निखारने को ये हैं सिफारिशें

हमीरपुर, किन्नौर, लाहुल-स्पीति में साहसिक पर्यटन व व्हाइट वाटर और रिवर राफ्टिंग की व्यापक संभावनाएं हैं। ये स्थल शिमला, कांगड़ा, कुल्लू-मनाली से नजदीक हैं। पर्यटन विकास की व्यापक संभावनाओं के मद्देनजर इन्हें विकसित किया जाना चाहिए। हिमाचल के पर्यटक स्थलों में स्वच्छ पेयजल व टायलट्स की सुविधा तो होनी ही चाहिए, पार्किंग सुविधा भी बड़े स्तर पर मिलनी चाहिए।

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