आईएएस अफसरों की कमी से जूझ रहा हिमाचल

By: Jun 20th, 2017 12:15 am

प्रदेश को 147 अधिकारियों की जरूरत; कार्यरत महज 116, उनमें से भी 27 डेपुटेशन पर

NEWSशिमला— हिमाचल आईएएस अफसरों की कमी से जूझ रहा है। प्रदेश के लिए 147 भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों का कैडर निर्धारित है। मगर प्रदेश में 116 अधिकारी ही कार्यरत है। इनमें से भी 27 आईएएस अफसर डेपुटेशन पर हैं। हर साल तीन से चार आईएएस अफसर सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों की यह कमी 2019 तक और बढ़ेगी। मौजूदा अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण श्रीधर 2018 में सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। मुख्य सचिव वीसी फारका 2019 में, डा. श्रीकांत बाल्दी अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त व अतिरिक्त मुख्य सचिव शहरी विकास मनीषा नंदा भी 2019 में सेवानिवृत्त होंगे। अरविंद मेहता 2020 में रिटायर होंगे। प्रदेश में कई महत्त्वपूर्ण महकमों का कार्य या तो हिमाचल प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के सुपुर्द किया गया है या फिर भारतीय वन सेवा के साथ-साथ भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों के तहत, जो वरिष्ठ व अनुभवी कार्यरत अधिकारी हैं, उनके पास एक साथ पांच-पांच महकमों का भी अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। एचएएस से आईएएस का प्रोमोशन कोटा 44 का फिक्स किया गया है। समयबद्ध तरीके से यह भी निर्धारित रहता है। बावजूद इसके प्रदेश में पिछले लंबे अरसे से आईएएस की कमी महसूस की जा रही है। एक तो अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए लालायित रहते हैं, दूसरे स्टडी लीव की परंपरा भी बढ़ी है। हालांकि राज्य सरकार ने 50 वर्ष की उम्र के बाद स्टडी लीव पर भेजे जाने की नीति निर्धारित की है, बावजूद इसके कमी पर कोई असर नहीं पड़ा है। पूर्व धूमल सरकार ने इसी के चलते ज्यादातर कार्य एचएएस अधिकारियों के सुपुर्द कर रखा था। तकनीकी तौर पर भी पहाड़ी प्रदेश को ये दिक्कतें पेश आ रही हैं। जानकारों के मुताबिक पिछले कई वर्षों से हिमाचल सहित अन्य प्रदेशों को चार या पांच आईएएस अधिकारी ही मिल पा रहे हैं, जबकि पहले इनकी संख्या 10-15 से लेकर 15-20 होती थी।  राजस्व, पर्यटन, पीडब्ल्यूडी, आईपीएच के साथ-साथ वन, कार्मिक, जीएडी, एसएडी, कृषि व बागबानी के साथ-साथ स्वास्थ्य व शिक्षा के ऐसे महकमें हैं, जिनमें स्वतंत्र अधिकारी की तैनातगी की दरकार रहती है। मगर वर्तमान में एक-एक अधिकारी के सुपुर्द पांच से छह महकमों तक का कार्यभार दिया गया है। हालांकि जिन अधिकारियों को अतिरिक्त कार्यभार का बड़ा जिम्मा हैं, वे सक्षम भी हैं, बावजूद इसके दिक्कतें बढ़ रही हैं। यही वजह है कि अब प्रतिनियुक्ति में और विस्तार देने की कवायद पर भी रोक लगा दी गई है। कुछ समय बाद ही वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनिल कुमार खाची प्रदेश लौट रहे हैं। शेष 26 अधिकारियों की फेहरिस्त में से आगामी वर्ष तक भी अधिकारी प्रतिनियुक्ति से नहीं लौट पाएंगे। अभी भी छह और आईएएस अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए तैयार बैठे हैं। जानकारों के मुताबिक यदि यही स्थिति रही तो प्रदेश की विकासात्मक योजनाएं भी प्रभावित हो सकती है। हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कोई दिक्कतें पेश नहीं आ रही हैं। यह दीगर है कि अतिरिक्त कार्यभार बढ़ रहे हैं। जानकारों के मुताबिक यदि इस कमी को दूर करने के लिए व अतिरिक्त कार्यभार की परंपरा पर विराम नहीं लग सका तो कई विकासात्मक योजनाएं प्रभावित हुए बिना भी नहीं रहेंगी। ऊंचे ओहदों की होड़ राजनीति का भी शौक बाहरी राज्यों की ही तर्ज पर हिमाचल में भी विभिन्न कैडर के अधिकारियों में संवैधानिक पदों पर लगने की होड़ दिख रही है। यहां तक कि इस कवायद में केंद्रीय नेताओं तक के प्रभाव लगाए जाते हैं, वहीं कई अधिकारी आगामी विधानसभा चुनावों में जहां उतरने के लिए तैयार बैठे हैं। इससे पहले भी ऐसे ही कई अधिकारी अपना भाग्य आजमा चुके हैं।

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