इनसाफ के लिए महासभा आज

By: Jun 20th, 2017 12:05 am

करसोग  – उपमंडल मुख्यालय करसोग में  बीस जून को वन रक्षक होशियार सिंह की रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत के मामले को लेकर महासभा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से जांच का कार्य सीबीआई से करवाने की मांग भी रखी जाएगी। इसे लेकर महासभा से एक दिन पहले सोमवार को जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान छोटा लाउड स्पीकर लेकर करसोग बाजार में निकले, जिसमें उन्होंने वन रक्षक होशियार सिंह को न्याय दिलवाने के लिए सभी लोगों से अपील की कि वे महासभा में पहुंचकर मजबूत आवाज बनें। जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान, चिंरजी लाल ठाकुर, तिलक राज, पवन ठाकुर, सिराज विकास मंच के अध्यक्ष सोहन सिंह आदि ने कहा कि बीस जून को करसोग में जो महासभा आयोजित की जा रही है उसमें प्रमुखता से वन रक्षक होषियार सिंह की मौत को लेकर सीबीआई जांच की मांग रखी जाएगी। इस महासभा में होशियार सिंह के परिवार से भी कुछ लोग शामिल होंगे। उपरोक्त लोगों ने कहा कि मामले की जांच पुलिस करसोग के बाद एसआईटी को दी गई, एसआईटी के बाद सीआईडी को दी गई, परंतु अभी भी होशियार सिंह की रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत से जुड़े कई सवालों के जवाब मिलना बाकी हैं, जिस कारण सीबीआई की जांच मांगी जा रही है। बताया गया कि वन रक्षक होशियार सिंह की मौत मामले को आत्महत्या व हत्या से जोड़कर विभिन्न पहलुओं की छानबीन जारी है, परंतु हैरानी की बात है कि आज तक इतिहास में कहीं भी यह नहीं देखा गया कि कोई व्यक्ति जहर खाकर पेड़ पर चढ़ेगा तथा वहां भी उल्टा लटकेगा। वन रक्षक होशियार सिंह की मौत साजिश का नतीजा है ,जिसमें कड़ी से कड़ी जोड़कर तथ्यों का खुलासा किया गया व जो भी इस साजिश में शामिल हैं उन्हें भी कड़ी से कड़ी सजा देकर होशियार सिंह को न्याय दिया जाए। हैरानी तो इस बात की है कि कतांडा बीट में हरे-भरे सैकड़ों पेड़ों का कत्ल वन माफिया द्वारा किए जाने का खुलासा हो चुका है परंतु वन विभाग अब चुप्पी साधकर बैठ चुका है। उक्त जंगलों में छानबीन कर लौट चुके वन अधिकारी भी अपने विभाग के उन लोगों को बचाने के लिए लगे हुए हैं, जिन लोगों पर जंगलों को बचाने व निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान ने कहा कि वन मंडल करसोग के कई जंगलों में वन माफिया नुकसान करने के लिए डटा हुआ है, वन विभाग के अधिकारी आंखें मूंदे हुए है क्योंकि अवैध पेड़ कटने वाले मामले सामने आने पर उनके ऊपर भी गाज गिर सकती है, जिसके चलते पेड़ों पर चली अवैध कुल्हाड़ी वाले मामलों को चुपचाप जंगलों के अंदर ही निपटाने का प्रयास किया जा रहा है।

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