और यह भी…

By: Jun 30th, 2017 12:01 am

(वर्षा शर्मा, पालमपुर, कांगड़ा )

कांगड़ा की चाय व्हाइट हाउस तक पहुंच गई, पर कांगड़ा में यह अच्छे दिनों की राह देख रही है। नीति को कसूरवार ठहराएं या नीयत पर सवाल उठाएं, लेकिन हकीकत यही है कि चाय बागानों का रकबा लगातार सिमट रहा है। चाय बागान का क्षेत्र जहां 4500 हेक्टेयर से कम होकर 2300 हेक्टेयर रह गया है और 5800 चाय उत्पादकों में से महज 1500 ही अब एक्टिव हैं। क्या कांगड़ा प्रशासन अब भी जागेगा?

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