ग्रेड के हिसाब से बंटेंगे कालेज-विश्वविद्यालय

By: Jun 6th, 2017 12:01 am

नैक एक्रेडिटेशन और एनआईआरएफ रैंकिंग होंगे तीन श्रेणियों के आधार

शिमला  —  उच्च शिक्षा से जुडे़ विश्वविद्यालयों और कालेजों को अब अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा। संस्थानों के वर्गीकरण की इस प्रक्रिया को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए नियमों के आधार पर करेगा। कौन सा संस्थान किस श्रेणी में शामिल होगा, इसके लिए आयोग नैक एक्रेडिटेशन और नेशनल इंस्टीच्यूशंनल रैंकिंग फ्रेमवर्क को आधार बनाएगा। नैक से मिले गे्रड और एनआईआरएफ के रैंक के तहत विश्वविद्यालयों और कालेजों को पहली, दूसरी और तीसरी श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा। संस्थानों में पीएचडी/एमफिल कोर्स के प्रवेश नियम भी तय होंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से नए नियम 2017 का एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है। यूजीसी ने नियम 2017 में कैटेगरी लाइजेशन ऑफ यूनिवर्सिटीज फार ग्रांट ऑफ गे्रडिड ऑटोनॉमी में तय किया है कि जिन संस्थानों को लगातार दो साल तक नैक स्कोर 3.5 से अधिक मिला है और एनआईआरएफ में रैंकिंग 50 के भीतर रही है, वे कैटेगरी-एक में शामिल होंगे। जो संस्थान 3.01 से 3.49 के नैक स्कोर और नेशनल रैंकिंग फे्रमवर्क में 51 से 100वें रैंक पर हैं, उन्हें कैटेगरी-दो और बाकी इन दोनों स्तरों से नीचे वाले संस्थानों को तीसरी कैटेगरी वाले संस्थानों में रखा जाएगा। ड्राफ्ट के नियमों में यह तय किया गया है कि जो भी विश्वविद्यालय और कालेज तृतीय श्रेणी में शामिल होंगे, उनमें पीएचडी कोर्स में उन्हीं उम्मीदवारों को प्रवेश दिया जाएगा, जिन्होंने नेट, स्लेट, सेट परीक्षा उत्तीर्ण की हो।  वहीं यूजीसी की ओर से नियम 2017 पर तय ड्राफ्ट के लिए सुझाव feedback to ugc @ gmail.com पर 15 जून तक मांगे गए हैं।

प्रदेश के शिक्षण संस्थानों के लिए खतरा

यूजीसी नियम 2017 के ड्राफ्ट के तहत नियम अलग लागू होते हैं, तो इसका सबसे बड़ा असर प्रदेश विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध कालेजों पर होगा। एचपीयू को नैक से एक गे्रड गत वर्ष मिला है, लेकिन नेशनल रैंकिंग फे्रमवर्क में विवि 150वें स्थान पर है। वहीं प्रदेश के अधिकतर कालेजों को नैक से बी और बी प्लस तक ही सीमित है और नेशनल रैंकिंग फे्रमवर्क में मात्र एक कालेज को छोड़कर किसी भी कालेज ने भाग नहीं लिया है। ऐसे में सभी संस्थानों को यूजीसी के नियमों में तीसरी श्रेणी में जगह मिलेगी।

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