मुख्य सचिव से मांगा जवाब
बिलासपुर के बबखाल पुल की देरी पर हाई कोर्ट सख्त
शिमला – प्रदेश हाई कोर्ट ने बिलासपुर जिला के बबखाल में निर्माणाधीन पुल के निर्माण कार्य में हो रही देरी पर पर कड़ा संज्ञान लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा चौहान की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वह निजी शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताए कि 21 करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि इस पुल के निर्माण कार्य पर खर्च की जा चुकी है, लेकिन अभी तक यह पुल उपयोग हेतु तैयार क्यों नहीं हो पाया है। मुख्य सचिव को अपने शपथपत्र में बताना होगा कि इस पुल के निर्माण के लिए जो राशि वर्ष 2005 में लगनी थी वह अब कितनी लगेगी। मुख्य सचिव से यह भी जानकारी मांगी गई है कि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। गौरतलब है कि भाखड़ा बांध लगने से गोविंद सागर झील बन गई, जिस कारण बिलासपुर जिला दो भागो में बंट गया। 60 किलोमीटर के दायरे में यह झील फैली हुई है। इस पुल के निर्माण होने से झील के किनारे बसे लोगों को लाभ होना था, लेकिन इस का इंतजार दस वर्षों से भी अधिक हो गया है। वर्ष 2005 में इस पुल के निर्माण का कार्य मैसर्ज गेमन इंडिया लिमिटेड को दिया गया और इसका अनुमानित खर्चा 21 करोड़ था। ठेके की शर्त के अनुसार यह निर्माण कार्य वर्ष 2008 तक पूरा किया जा प्रस्तावित था। अदालत के समक्ष चौंकाने वाले तथ्य रखे रखे गए हैं कि अनुमानित राशि के बराबर धनराशि निर्माण कार्य पर खर्च किए जाने के बावजूद लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिला है।
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